नई दिल्ली। पांच महीने तक बच्चों और परिवार से दूर रहने के बाद गर्भवती सोनाली खातून आखिरकार अपने घर और बच्चों से मिली हैं। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद शनिवार को उन्हें पश्चिम बंगाल के रामपुरहाट सरकारी मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में भर्ती कराया गया। डॉक्टर्स की उम्मीद है कि उनकी डिलीवरी इसी महीने या अगले महीने की शुरुआत में होगी।

छह साल की बेटी आफरीन अस्पताल के बाहर कैमरों की मौजूदगी में मुस्कुराती रही, जब उनकी मां स्ट्रेचर पर अंदर ले जाई जा रही थीं। जून में दिल्ली पुलिस ने सोनाली को बांग्लादेशी होने के शक में गिरफ्तार किया और बाद में उन्हें बांग्लादेश भेज दिया गया था। अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश से वह अपने आठ साल के बेटे साबिर के साथ भारत लौट आई हैं और शुक्रवार को मालदा बॉर्डर से उन्हें रामपुरहाट लाया गया।

सोनाली ने बताया कि बांग्लादेश की जेल में उनका समय बहुत कठिन रहा। उन्होंने कहा, "मुझे अकेली कोठरी में रखा जाता था। साबिर मेरे साथ था, लेकिन पति दानेश को अलग ले जाया गया। उनकी चिंता अभी भी बनी हुई है। साथ ही स्वीटी बीबी और उसके बच्चों की भी चिंता है, जो अभी भी वापस नहीं आए हैं।"

बच्चों से पुनर्मिलन
आफरीन उस समय बांग्लादेश नहीं गई थीं, क्योंकि गिरफ्तारी के समय वह अपने दादा-दादी के साथ रह रही थीं। पांच महीने बाद उन्होंने अपनी मां और भाई को अस्पताल में देखा और खुशी जताई। सोनाली ने कहा, "मेरी बेटी और परिवार से दोबारा मिलना बड़ी राहत है। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के समर्थन के बिना यह संभव नहीं था।" अस्पताल ने सोनाली की मां ज्योत्सना बीबी और दोनों बच्चों को उनके साथ रहने की अनुमति दी है, ताकि डिलीवरी तक परिवार साथ रह सके।

कानूनी लड़ाई और आगे की योजना
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने उन्हें मालदा से रामपुरहाट अस्पताल तक पहुंचाया, रास्ते में पैकर गांव में परिवार ने उनका स्वागत किया। टीएमसी सांसद समीरुल इस्लाम, जिन्होंने सोनाली और अन्य पांच लोगों का केस लड़ा, ने कहा, "यह कमजोरों की जीत है। केंद्र सरकार ने एक भारतीय महिला को गलत तरीके से बांग्लादेश भेजा था।"

उनके अनुसार, अब अगला लक्ष्य उन चार अन्य लोगों की वापसी सुनिश्चित करना है, जो अभी भी बांग्लादेश में हैं। टीएमसी विधायक डॉ. मोसर्रफ हुसैन ने कहा कि सोनाली के अस्पताल में इलाज का खर्च वे स्वयं वहन करेंगे।