नई दिल्ली: कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने वीर सावरकर पुरस्कार स्वीकार करने से साफ इनकार कर दिया है। मंगलवार को स्थानीय निकाय चुनावों में वोट डालने के लिए केरल में मौजूद थरूर ने कहा कि उन्हें इस पुरस्कार के बारे में कल ही जानकारी मिली और वे समारोह में शामिल नहीं होंगे। थरूर ने कहा, “मैं वी.डी. सावरकर के नाम पर दिया जाने वाला कोई भी पुरस्कार स्वीकार नहीं करूंगा और न ही इससे जुड़े किसी कार्यक्रम में हिस्सा लूंगा। मेरी सहमति के बिना मेरा नाम घोषित करना आयोजकों की ओर से गैरजिम्मेदाराना हरकत थी।”

पुरस्कार देने वाली संस्था, हाई रेंज रूरल डेवलपमेंट सोसाइटी (एचआरडीएस) इंडिया, ने दावा किया है कि उन्हें थरूर को पहले ही आमंत्रित कर दिया गया था। संस्था के सचिव अजी कृष्णन ने कहा कि एचआरडीएस इंडिया के प्रतिनिधि और पुरस्कार जूरी के अध्यक्ष ने थरूर से मुलाकात की थी और उन्हें अन्य प्राप्तकर्ताओं की सूची भी दी गई थी। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि कांग्रेस की आलोचना के कारण थरूर कार्यक्रम में शामिल नहीं हो रहे हैं।

शशि थरूर ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘X’ पर लिखा, “पुरस्कार की प्रकृति, इसे प्रदान करने वाले संगठन या अन्य कोई प्रासंगिक जानकारी स्पष्ट न होने की वजह से आज कार्यक्रम में मेरी उपस्थिति या पुरस्कार स्वीकार करने का प्रश्न ही नहीं उठता।”

कांग्रेस नेता मुरलीधरन ने इस मामले पर कहा कि किसी भी कांग्रेस सदस्य को, चाहे वह थरूर ही क्यों न हों, वीर सावरकर के नाम का पुरस्कार नहीं लेना चाहिए। उन्होंने बताया कि सावरकर ने ब्रिटिश शासन के सामने झुकाव दिखाया था और ऐसे पुरस्कार को स्वीकार करना पार्टी के लिए अपमान और शर्मिंदगी का कारण बन सकता है।