जम्मू-कश्मीर के किश्तवाड़ जिले के चिशोती गांव में गुरुवार दोपहर बादल फटने और भूस्खलन से भारी विनाश हुआ। हादसे में अब तक 60 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 120 से अधिक लोग घायल बताए जा रहे हैं। राहत-बचाव अभियान लगातार जारी है, लेकिन खराब मौसम के कारण इसमें दिक्कतें आ रही हैं। कई लोग अब भी मलबे में दबे होने की आशंका है।

मृतकों में अधिकांश श्रद्धालु मचैल माता यात्रा के यात्री बताए जा रहे हैं। चिशोती, प्रसिद्ध मचैल माता मंदिर जाने वाले मार्ग का अहम पड़ाव है। घटना के बाद 25 जुलाई से चल रही यात्रा को रोक दिया गया है और श्रद्धालुओं को सुरक्षित स्थानों पर ठहरने की अपील की गई है।

स्थानीय लंगर, घर, दुकानें और तीर्थयात्रियों के ठहरने के स्थान पानी के तेज बहाव, पत्थरों और पेड़ों की चपेट में आ गए। यहां तक कि एक सुरक्षा चौकी भी बह गई। नाले के किनारे बसे घर पूरी तरह तबाह हो गए हैं।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, उपराज्यपाल मनोज सिन्हा और पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस आपदा पर गहरा दुख प्रकट किया और प्रभावित परिवारों को हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया।

मचैल माता मंदिर तक पहुंचने के लिए इसी गांव से 9,500 फीट ऊंचाई पर स्थित धाम तक की 8.5 किलोमीटर लंबी पैदल यात्रा शुरू होती है। इस बार यात्रा 5 सितंबर तक चलनी थी, जिसमें हजारों श्रद्धालु पहुंचे थे। लेकिन अचानक हुई इस त्रासदी ने पूरे इलाके को दहशत में डाल दिया है।