रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने रविवार को पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के नजदीक स्थित श्योक टनल सहित सात राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों में तैयार 125 बुनियादी ढांचा परियोजनाओं का लोकार्पण किया। पहली बार सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) ने इतनी बड़ी संख्या में परियोजनाओं को एक साथ राष्ट्र को समर्पित किया है। इनमें जम्मू-कश्मीर के कठुआ जिले की सात परियोजनाओं सहित कुल 22 और लद्दाख की 41 परियोजनाएं शामिल हैं।
लेह के रिंचेन ऑडिटोरियम से वर्चुअल माध्यम द्वारा हुए इस समारोह में लद्दाख, जम्मू-कश्मीर, अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, राजस्थान, पश्चिम बंगाल और मिजोरम में बनी योजनाओं को राष्ट्र को समर्पित किया गया। इन सभी परियोजनाओं में 28 सड़कें, 93 पुल और चार अन्य ढांचागत निर्माण शामिल हैं, जिन पर कुल 5,000 करोड़ रुपये खर्च हुए है। कार्यक्रम के दौरान गलवान युद्ध स्मारक का भी उद्घाटन किया गया।
'इंजीनियरिंग आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम'
रक्षामंत्री ने कहा कि तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में बीआरओ ने उल्लेखनीय प्रगति की है और उन्नत इंजीनियरिंग के बल पर सीमावर्ती इलाकों में तेज़ी से काम पूरा किया जा रहा है। उन्होंने बताया कि आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत बीआरओ ने गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स के सहयोग से स्वदेशी क्लास-70 मॉड्यूलर पुल तैयार किए हैं, जो देश की इंजीनियरिंग क्षमता का प्रमाण हैं।
सरकार ने बीआरओ के काम को देखते हुए 2025-26 में बजट बढ़ाकर 7,146 करोड़ रुपये कर दिया है, जो पिछले वर्ष 6,500 करोड़ रुपये था। बीआरओ अधिकारियों ने बताया कि परियोजनाएं ऊंचाई वाले बर्फीले क्षेत्रों, रेगिस्तानी इलाकों, बाढ़ प्रवण क्षेत्रों और घने जंगलों जैसे चुनौतीपूर्ण स्थानों पर पूरी की गई हैं।
श्योक टनल: सीमा सुरक्षा को मजबूत करेगी नई कड़ी
लेह जिले के दुरबुक–श्योक–दौलत बेग ओल्डी मार्ग पर बनी 920 मीटर लंबी श्योक टनल को राजनाथ सिंह ने “इंजीनियरिंग का कमाल” बताया। यह टनल हर मौसम में निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित करेगी और सर्दियों में सैन्य तैनाती की क्षमता बढ़ाएगी। अत्यधिक ठंड, भारी बर्फबारी और एवलांच प्रवण इलाके में यह टनल सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
दो वर्षों में 356 परियोजनाएं पूरी
रक्षा मंत्री ने बताया कि 2024-25 में बीआरओ ने रिकॉर्ड 16,690 करोड़ रुपये खर्च किए। आने वाले वित्तीय वर्ष के लिए लक्ष्य 18,700 करोड़ रुपये रखा गया है। अधिकारियों के अनुसार, बीआरओ पिछले दो वर्षों में 356 परियोजनाएं राष्ट्र को सौंप चुका है, जिनमें बड़ी संख्या सामरिक दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण रही हैं।
लद्दाख को मिला सबसे बड़ा हिस्सा
समर्पित की गई 125 परियोजनाओं में 41 अकेले लद्दाख की हैं—28 पुल, आठ सड़कें और श्योक टनल। अधिकतर परियोजनाएं एलएसी से सटे क्षेत्रों को जोड़ती हैं। इससे न केवल सुरक्षा ढांचा मजबूत होगा, बल्कि स्थानीय समुदायों को वर्षभर संपर्क सुविधा, स्वास्थ्य सेवाओं, रोजगार और आर्थिक गतिविधियों में भी लाभ मिलेगा।
रक्षा उत्पादन और निर्यात में बड़ी छलांग
राजनाथ सिंह ने बताया कि 2014 में 46,000 करोड़ रुपये का घरेलू रक्षा उत्पादन अब बढ़कर 1.51 लाख करोड़ रुपये हो गया है। रक्षा निर्यात भी पिछले दस वर्षों में 1,000 करोड़ रुपये से बढ़कर लगभग 24,000 करोड़ रुपये पहुंच गया है। उन्होंने कहा कि अब भारत रक्षा निर्माण में आत्मनिर्भर देश के रूप में उभर रहा है।
उड़ी में नंद सिंह ब्रिज का उद्घाटन
कार्यक्रम के दौरान उड़ी राष्ट्रीय राजमार्ग पर बने नंद सिंह ब्रिज को भी वर्चुअल माध्यम से राष्ट्र को समर्पित किया गया। अधिकारियों ने बताया कि यह पुल नागरिक एवं सैन्य परिवहन दोनों के लिए महत्वपूर्ण संपर्क उपलब्ध कराएगा।
सीमावर्ती क्षेत्रों में मजबूत नेटवर्क से मिली सफलता
रक्षामंत्री ने कहा कि आज सीमावर्ती मोर्चों पर तैनात सैनिक सड़कों, रियल-टाइम संचार प्रणालियों, उपग्रह सहायता, निगरानी नेटवर्क और बेहतर लॉजिस्टिक सपोर्ट के कारण पहले से कहीं अधिक मजबूत स्थिति में हैं। उन्होंने कहा कि 2025-26 की दूसरी तिमाही में देश की GDP वृद्धि 8.2% तक पहुंची है, जिसमें बेहतर कनेक्टिविटी और संचार ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गलवान युद्ध स्मारक: अदम्य साहस का प्रतीक
गलवान घाटी में 2020 में हुए संघर्ष में शहीद हुए 20 सैनिकों की याद में बने युद्ध स्मारक का भी उद्घाटन किया गया। त्रिशूल और डमरू की आकृति में बना यह स्मारक समुद्र तल से 14,500 फीट की ऊंचाई पर स्थित है और इसे दुनिया का सबसे ऊंचा युद्ध स्मारक बताया जा रहा है। परिसर में कांस्य प्रतिमाएं, संग्रहालय, डिजिटल गैलरी और पूर्वी लद्दाख के सैन्य इतिहास की प्रदर्शनियां शामिल हैं।
पर्यटन सुविधाओं का विकास, स्थानीय लोगों को मिलेगा लाभ
दुरबुक–गलवान मार्ग पर कैफे, विश्राम स्थल, सेल्फी प्वाइंट, स्मारिका दुकानें और रेत मॉडल जैसे आकर्षण विकसित किए गए हैं, जिनका संचालन स्थानीय समुदाय करेगा। इससे वाइब्रेंट विलेज कार्यक्रम को मजबूती मिलेगी।
बीआरओ की भूमिका को सराहा
रक्षामंत्री ने कहा कि बीआरओ का काम सिर्फ निर्माण नहीं, बल्कि “राष्ट्र निर्माण” का प्रतीक है। हाल के वर्षों में संगठन ने सीमावर्ती क्षेत्रों में जिस तेजी से ढांचागत विकास किया है, उसने राष्ट्रीय सुरक्षा और राहत अभियानों—जैसे उत्तराखंड हिमस्खलन, सिक्किम में फंसे पर्यटकों का बचाव और बादल फटने के बाद तीर्थ यात्रियों को सुरक्षित निकालने—में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
लद्दाख के उपराज्यपाल कविंद्र गुप्ता ने भी -40°C तापमान तक में काम करने वाले बीआरओ कर्मियों की सराहना करते हुए इसे “राष्ट्र प्रथम” का उत्कृष्ट उदाहरण बताया।