मध्य प्रदेश के नक्सल प्रभावित बालाघाट डिविजन में सुरक्षा एजेंसियों को बड़ी सफलता मिली है। 77 लाख रुपये के इनामी नक्सली कबीर समेत कुल 10 नक्सलियों ने हाल ही में सरेंडर किया। इनमें छह पुरुष और चार महिला नक्सली शामिल हैं। सभी को जिला पुलिस लाइन में कड़ी सुरक्षा के बीच रखा गया है। यह घटना राज्य की पहली महिला नक्सली के हथियारों के साथ आत्मसमर्पण के बाद और भी महत्वपूर्ण मानी जा रही है।
इस ऑपरेशन को बेहद गोपनीय रखा गया था। इसमें एक फॉरेस्ट गार्ड की अहम भूमिका रही, जिसने नक्सलियों और पुलिस के बीच संपर्क स्थापित करवाया। जंगल से निकलकर नक्सली सीधे बालाघाट रेंज के आईजी के सामने आत्मसमर्पण करने पहुंचे। सुरक्षा एजेंसियों के लिए यह उपलब्धि विशेष महत्व रखती है क्योंकि कबीर की लंबे समय से तलाश चल रही थी। राज्य सरकार भी इसे बड़ी सफलता मान रही है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव आज दोपहर 3 बजे बालाघाट पहुंचेगे, जहां वे नक्सलियों का औपचारिक आत्मसमर्पण स्वीकार करेंगे। उनका हस्तक्षेप नक्सल विरोधी अभियानों को और मजबूती देगा।
पहले भी मिली थी सफलता
बालाघाट के ग्राम चोरिया में नए हॉक फोर्स कैंप में 22 वर्षीय महिला नक्सली सनीला उर्फ सुनीता ने आत्मसमर्पण किया था। सनीला वर्ष 2024 से नक्सल संगठन में एमएमसी जोन प्रभारी और सीसी मेंबर रामदेर की हथियारबंद गार्ड के रूप में सक्रिय थी। वह मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ की मोस्ट वांटेड सूची में शामिल थी। आत्मसमर्पण के समय उसने इंसास राइफल, तीन मैगजीन में 30 जिंदा कारतूस, एक बीजीएल और अन्य सामग्री पुलिस को सौंप दी।
नक्सलियों का लगातार सरेंडर सुरक्षा एजेंसियों के मनोबल को बढ़ा रहा है और आने वाले दिनों में और भी नक्सली मुख्यधारा में लौट सकते हैं। बालाघाट सहित अन्य नक्सल प्रभावित इलाकों में यह कदम शांति की दिशा में बड़ा संकेत माना जा रहा है। राज्य की पुनर्वास नीतियों और पुलिस की लगातार कार्रवाई के चलते नक्सलियों पर दबाव बढ़ा है, जिससे केबी डिविजन के प्रमुख नक्सली नेताओं का समर्पण ऐतिहासिक उपलब्धि के रूप में दर्ज किया गया है।