मध्य प्रदेश के छतरपुर जिले के खजुराहो में फूड पॉइजनिंग की गंभीर घटना सामने आई है, जिसमें एक रिसॉर्ट के तीन कर्मचारियों की मौत हो गई, जबकि अन्य का उपचार जारी है। यह मामला रविवार देर रात उस समय सामने आया, जब गौतमा रिसॉर्ट के कर्मचारियों ने भोजन करने के तुरंत बाद तबीयत बिगड़ने की शिकायत की।

कर्मचारियों को उलटी, बेचैनी और सिरदर्द जैसे लक्षण दिखाई देने पर साथियों ने उन्हें पहले खजुराहो प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचाया। प्राथमिक उपचार के बाद हालत गंभीर होने पर सभी को छतरपुर जिला अस्पताल रेफर किया गया। अस्पताल प्रशासन ने पुष्टि की है कि इलाज के दौरान तीन कर्मचारियों—प्रागीलाल कुशवाहा, गिरजा रजक और रामस्वरूप कुशवाहा—की मौत हो गई है, जबकि अन्य मरीजों को बेहतर देखभाल के लिए रेफर किया गया है।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (सीएमएचओ) डॉ. आर.पी. गुप्ता के अनुसार, सोमवार को कुल नौ लोग फूड पॉइजनिंग के लक्षणों के साथ प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुँचे थे। सभी की हालत गंभीर थी, इसलिए उन्हें जिला अस्पताल भेजना पड़ा। कुछ मरीजों को आगे इलाज के लिए ग्वालियर मेडिकल कॉलेज भी रेफर किया गया।

स्थल पर पहुंची स्वास्थ्य और खाद्य सुरक्षा विभाग की टीम

घटना की सूचना मिलते ही स्वास्थ्य विभाग और खाद्य सुरक्षा विभाग की टीमों ने रिसॉर्ट में पहुँचकर भोजन सामग्री के नमूने इकट्ठे किए। इन्हें फोरेंसिक जांच के लिए भेजा गया है। साथ ही, पुलिस ने उस परिसर को सील कर दिया है जहाँ कर्मचारी रहते थे। अधिकारियों का कहना है कि जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह स्पष्ट हो सकेगा कि भोजन में किस प्रकार की मिलावट या संक्रमण मौजूद था।

परिजनों को तत्काल राहत राशि

जिला कलेक्टर पार्थ जैसवाल ने हादसे को गंभीर मानते हुए मृत कर्मचारियों के परिजनों को रेडक्रॉस सोसायटी से 20-20 हजार रुपये की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है। प्रशासन का कहना है कि यह प्रारंभिक मदद है और आवश्यकतानुसार आगे और सहायता देने पर विचार किया जाएगा।

रिसॉर्ट्स में भोजन की गुणवत्ता की व्यापक जांच के आदेश

घटना के बाद जिला प्रशासन ने खजुराहो के सभी प्रमुख रिसॉर्ट्स में परोसे जाने वाले भोजन की गुणवत्ता की जांच के निर्देश जारी किए हैं। विभिन्न रिसॉर्ट्स से खाने के नमूने एकत्र कर फोरेंसिक लैब भेजे जा चुके हैं ताकि किसी भी तरह की लापरवाही का समय रहते पता लगाया जा सके।

जिला अस्पताल के वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. रोशन द्विवेदी ने बताया कि मरीजों को अस्पताल पहुँचते-पहुँचते उनकी स्थिति काफी गंभीर हो चुकी थी। उन्होंने कहा कि गंभीर फूड पॉइजनिंग के मामलों में तत्काल उपचार बेहद ज़रूरी है, क्योंकि थोड़ी देर भी मरीज की जान के लिए ख़तरा बढ़ा देती है।