महाराष्ट्र की राजनीति में शनिवार को एक नया मोड़ तब आया जब राज ठाकरे और उद्धव ठाकरे ने संयुक्त रूप से विजय रैली को संबोधित किया। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद जहां सत्ता पक्ष में हलचल मच गई, वहीं विपक्ष की ओर से हमले तेज हो गए हैं। शिवसेना (उद्धव गुट) के सांसद संजय राउत ने महायुति के नेताओं पर निशाना साधते हुए कहा कि दो भाइयों की एकता से उनकी सोचने-समझने की शक्ति जवाब दे गई है।
“अब महायुति को हर जगह रोने के कार्यक्रम करने होंगे” – राउत
संजय राउत ने चुटकी लेते हुए कहा कि विजय रैली के बाद महायुति के नेता भ्रम की स्थिति में हैं। उन्होंने व्यंग्यात्मक लहज़े में कहा, “अब वे महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों में सार्वजनिक रोने के आयोजन करें। हम खुद उनके लिए ऐसे कार्यक्रम आयोजित करेंगे।”
हिंदी थोपने पर देशभर में बढ़ा विरोध
राउत ने रैली के प्रभाव पर टिप्पणी करते हुए बताया कि देशभर में हिंदी को अनिवार्य बनाने की नीति के विरोध में वातावरण बन रहा है। उन्होंने कहा कि कई राज्यों के नेताओं ने उद्धव ठाकरे से संपर्क कर उन्हें इस एकजुटता के लिए बधाई दी है। उनका कहना है कि यह रैली केंद्र सरकार की भाषा नीति के खिलाफ आवाज़ बुलंद करने का प्रेरणास्रोत बनी है।
“हिंदी से विरोध नहीं, ज़बरदस्ती से है आपत्ति”
संजय राउत ने स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र की लड़ाई हिंदी भाषा के खिलाफ नहीं है, बल्कि प्राथमिक शिक्षा स्तर पर इसे जबरन लागू करने के विरुद्ध है। उन्होंने कहा, “हम हिंदी बोलते हैं, हिंदी फिल्में देखते हैं, लेकिन स्कूलों में हिंदी थोपी नहीं जानी चाहिए।”
फडणवीस पर सीधा तंज – “घबरा गए हैं आप”
राउत ने डिप्टी सीएम देवेंद्र फडणवीस पर व्यंग्य करते हुए कहा, “जनता ने साफ संकेत दे दिया है कि वह हमारे साथ है, और इसी वजह से फडणवीस साहब घबराए हुए हैं।” उन्होंने व्यंग्य करते हुए कहा, “अब सार्वजनिक रुदाली कार्यक्रम शुरू करें, जहां फडणवीस गाएंगे, शिंदे तबला बजाएंगे और बाकी उपमुख्यमंत्री तुंतुना बजाएंगे।”
“अब शिंदे साहब की पसंद भी बदल गई है”
संजय राउत ने एकनाथ शिंदे पर व्यक्तिगत हमला करते हुए कहा कि अब वे ‘जय महाराष्ट्र’ के बजाय ‘जय गुजरात’ बोलने लगे हैं। उन्होंने कहा, “अब उनके नाश्ते में बटाटा वडा या पोहा नहीं, बल्कि ढोकला-फाफड़ा शामिल है। उनकी पूरी जीवनशैली ही बदल चुकी है।”
“वो दाढ़ी शिवाजी महाराज की नहीं, किसी गद्दार की है”
राउत ने शिंदे की दाढ़ी पर तंज कसते हुए कहा, “उनकी दाढ़ी छत्रपति शिवाजी महाराज की नहीं, बल्कि अफजलखान और शाहिस्तेखान जैसे गद्दारों की प्रतीक बन चुकी है। और यह दाढ़ी कब अमित शाह के आदेश से हट जाए, कोई नहीं जानता।”
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