सीमा-विवाद: उद्धव ने शिंदे सरकार के प्रस्ताव का किया समर्थन

महाराष्ट्र-कर्नाटक के बीच सीमा विवाद पिछले कई दिनों से चल रहा है। इसी कड़ी में आज महाराष्ट्र विधानसभा में कर्नाटक के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच पड़ोसी राज्य में स्थित 865 मराठी भाषी गांव को प्रदेश में में विलय करने कानूनी रूप से आगे बढ़ने के लिए एक प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित किया। इस मुद्दे पर महाराष्ट्र सरकार को पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का भी साथ मिला है। हालांकि, उद्धव ठाकरे ने एक मांग यह भी कर दी है। उन्होंने बेलगावी को केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने की भी मांग की है। अपने बयान में उद्धव ठाकरे ने कहा कि हमने आज के संकल्प का समर्थन किया। महाराष्ट्र के पक्ष में जो भी होगा, हम उसका समर्थन करेंगे। लेकिन कुछ सवाल हैं। 

इसके साथ ही ठाकरे ने कहा कि 2 साल से अधिक समय से लोग (सीमावर्ती क्षेत्रों में रहने वाले) उन्हें महाराष्ट्र में शामिल करने की मांग कर रहे हैं, हम उसके बारे में क्या कर रहे हैं। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज सरकार ने जवाब दिया कि विवादित क्षेत्र को केंद्र शासित प्रदेश घोषित नहीं किया जा सकता जैसा कि 2008 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था। हालांकि, स्थिति अब वैसी नहीं है। उन्होंने कहा कि कर्नाटक सरकार इसका पालन नहीं कर रही है। वे वहां विधानसभा सत्र कर रहे हैं, जिसका नाम बेलगावी रखा गया है। इसलिए हमें सुप्रीम कोर्ट में जाना चाहिए और इसे केंद्र शासित प्रदेश घोषित करने के लिए कहना चाहिए। 

यह प्रस्ताव पारित

महाराष्ट्र विधानसभा ने कर्नाटक के साथ बढ़ते सीमा विवाद के बीच पड़ोसी राज्य में स्थित 865 मराठी भाषी गांवों का अपने प्रदेश में विलय करने पर ‘‘कानूनी रूप से आगे बढ़ने’’ के लिए एक प्रस्ताव मंगलवार को सर्वसम्मति से पारित कर दिया। मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक राज्य विधायिका ने सीमा विवाद को जानबूझकर भड़काने के मुद्दे पर एक प्रस्ताव पारित किया था। महाराष्ट्र विधानसभा में पारित प्रस्ताव में कहा गया है, ‘‘राज्य सरकार 865 गांवों और बेलगाम (जिसे बेलगावी भी कहा जाता है), कारवार, निपाणी, बीदर और भाल्की शहरों में रह रहे मराठी भाषी लोगों के साथ मजबूती से खड़ी है। राज्य सरकार कर्नाटक में 865 मराठी भाषी गांवों और बेलगाम, कारवार, बीदर, निपाणी, भाल्की शहरों की एक-एक इंच जमीन अपने में शामिल करने के मामले पर उच्चतम न्यायालय में कानूनी रूप से आगे बढ़ेगी।’’ 

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