केंद्र सरकार ने महाराष्ट्र में रेल नेटवर्क को मजबूत करने और यात्री व माल ढुलाई की क्षमता बढ़ाने के लिए 38 महत्वाकांक्षी परियोजनाओं को मंजूरी दी है। इन परियोजनाओं की अनुमानित लागत 89,780 करोड़ रुपये है और इसके तहत कुल 5,098 किलोमीटर लंबी पटरियों का निर्माण, गेज परिवर्तन और दोहरीकरण कार्य किया जाएगा।

परियोजनाओं का उद्देश्य और विस्तार
रेल मंत्रालय के अनुसार, योजना का मुख्य उद्देश्य राज्य में ट्रेनों के परिचालन को सुगम बनाना और नेटवर्क की क्षमता बढ़ाना है। स्वीकृत योजना में 11 नई लाइनें, 2 गेज परिवर्तन और 25 दोहरीकरण या मल्टी-ट्रैकिंग परियोजनाएं शामिल हैं।

बजट आवंटन में 20 गुना वृद्धि
रेल मंत्रालय के आंकड़ों के मुताबिक, 2009-14 के बीच रेलवे के बुनियादी ढांचे के लिए औसत वार्षिक व्यय 1,171 करोड़ रुपये था। इसके विपरीत वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट बढ़कर 23,778 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले आवंटन से 20 गुना अधिक है। इस वृद्धि का सीधा असर निर्माण गति पर पड़ा है। नई पटरियों को बिछाने की औसत गति पहले 58.4 किलोमीटर प्रति वर्ष थी, जो अब 208.36 किलोमीटर प्रति वर्ष हो गई है।

मुंबई लोकल और उपनगरीय नेटवर्क का कायाकल्प
मुंबई के उपनगरीय नेटवर्क को भी विशेष प्राथमिकता दी गई है, जहां प्रतिदिन 3,200 लोकल और 120 एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन होता है। मुंबई शहरी परिवहन परियोजना (चरण II, III और IIIA) को मंजूरी दी गई है। प्रमुख कार्यों में शामिल हैं:

  • सीएसएमटी और कुर्ला के बीच 5वीं और 6ठी लाइन का निर्माण।

  • हार्बर लाइन का गोरेगांव से बोरीवली तक विस्तार।

  • 12 डिब्बों वाली 238 नई ट्रेन रेक का संचालन, जिनकी अनुमानित लागत 19,293 करोड़ रुपये है।

बुलेट ट्रेन और फ्रेट कॉरिडोर प्रगति
महाराष्ट्र में हाई-स्पीड बुलेट ट्रेन परियोजना के लिए 100% भूमि अधिग्रहण पूरा हो चुका है। वर्तमान में पुल और अन्य संरचनाओं का निर्माण कार्य जारी है। वहीं, वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरिडोर (WDFC) का 76 किलोमीटर लंबा हिस्सा न्यू घोलवड से न्यू वैतरणा तक पूरा हो चुका है और उपयोग में है।

भविष्य की योजनाएं और सर्वेक्षण
रेल मंत्रालय ने 2022-26 के बीच 98 नए सर्वेक्षण शुरू किए हैं, जो 8,603 किलोमीटर क्षेत्र को कवर करते हैं। इन सर्वेक्षणों का उद्देश्य महाराष्ट्र में नई लाइनें और दोहरीकरण की संभावनाओं का मूल्यांकन करना है।

मंत्रालय ने स्पष्ट किया कि नई परियोजनाओं का चयन ट्रैफिक की मांग, राज्य सरकार की आवश्यकताओं और उपलब्ध धन के आधार पर किया जाएगा। परियोजनाओं की समयसीमा भूमि अधिग्रहण, वन मंजूरी और यूटिलिटी शिफ्टिंग जैसी प्रक्रियाओं पर निर्भर करेगी।