मुंबई में ठाकरे परिवार के हालिया पारिवारिक कार्यक्रमों ने राजनीतिक गलियारों में हलचल पैदा कर दी है। शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई, महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (एमएनएस) अध्यक्ष राज ठाकरे, लगातार पांचवीं बार एक साथ नजर आए, जिससे दोनों परिवारों की नजदीकी और राजनीतिक समीकरणों की संभावना पर सवाल उठने लगे हैं।

भाई-दूज के अवसर पर राज ठाकरे की बहन जैजयवंती के घर दोनों नेता एकत्रित हुए। यह इस महीने उनका पांचवां व्यक्तिगत और पारिवारिक मिलन था। इससे एक दिन पहले उद्धव ठाकरे, राज ठाकरे की मां कुंदा ठाकरे और अपनी चाची को जन्मदिन की बधाई देने दादर स्थित उनके घर पहुंचे थे।

उद्धव और राज ठाकरे जुलाई 2025 के बाद सार्वजनिक मंच पर कम से कम 10 बार एक साथ देखे गए हैं। 17 अक्तूबर को उद्धव ने एमएनएस द्वारा आयोजित दीपोत्सव कार्यक्रम का उद्घाटन किया था। इन मुलाकातों से दोनों परिवारों के बीच बढ़ती सौहार्दपूर्ण संबंधों का संकेत मिला।

राज ठाकरे ने 2005 में शिवसेना से अलग होकर एमएनएस की स्थापना की थी और उद्धव ठाकरे को पार्टी से बाहर निकलने का जिम्मेदार ठहराया था। हालांकि, महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव 2024 में दोनों पार्टियों को भारी हार का सामना करना पड़ा, जिसके बाद दोनों नेताओं ने व्यक्तिगत मतभेदों को पीछे छोड़कर राजनीतिक समन्वय की संभावनाएं तलाशनी शुरू की।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पांच जुलाई को दोनों नेताओं द्वारा आयोजित संयुक्त रैली, जिसमें स्थानीय भाषा और शिक्षा नीति पर भाजपा-नेतृत सरकार के फैसलों का विरोध किया गया, इस समन्वय की दिशा में एक संकेत है। आगामी स्थानीय निकाय चुनाव, जो 31 जनवरी 2026 से पहले होने हैं, को देखते हुए शिवसेना (यूबीटी) और एमएनएस के बीच गठबंधन की संभावना बढ़ती दिख रही है।

इस तरह, ठाकरे परिवार की पारिवारिक एकजुटता अब केवल व्यक्तिगत नहीं, बल्कि राजनीतिक रणनीति का हिस्सा मानी जा रही है।