इलाहाबाद। जौनपुर के पूर्व बाहुबली सांसद धनंजय सिंह के लिए इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ा झटका आया है। 23 साल पहले वाराणसी के नदेसर इलाके में हुए टकसाल शूटआउट मामले में आरोपियों को ट्रायल कोर्ट द्वारा बरी किए जाने के फैसले को चुनौती देने वाली उनकी अपील को कोर्ट ने खारिज कर दिया।
कोर्ट का तर्क: गैंगस्टर एक्ट अपराध राज्य और समाज के खिलाफ
सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि यूपी गैंगस्टर और असामाजिक क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम, 1986 के तहत अपराध केवल राज्य और समाज के खिलाफ माना जाता है, व्यक्तिगत नहीं। इसलिए किसी भी पीड़ित व्यक्ति को इस मामले में अपील करने का अधिकार पोषणीय नहीं है। इलाहाबाद हाईकोर्ट की सिंगल बेंच, न्यायमूर्ति लक्ष्मी कांत शुक्ला ने धनंजय सिंह की अपील खारिज करते हुए कहा कि असामाजिक गतिविधियों को रोकना केवल राज्य का दायित्व है, कोई व्यक्ति इसे अपने हाथ में नहीं ले सकता।
2002 का नदेसर टकसाल शूटआउट
यह विवादित घटना 4 अक्टूबर 2002 की है। वाराणसी के कैंट थाना क्षेत्र में टकसाल सिनेमा हॉल के पास तत्कालीन विधायक धनंजय सिंह की गाड़ी पर जान से मारने की नीयत से अंधाधुंध फायरिंग की गई थी। इस हमले में धनंजय सिंह, उनके गनर और ड्राइवर समेत कई लोग घायल हुए थे। घटना में ऑटोमेटिक हथियारों का भी इस्तेमाल हुआ था और इसे वाराणसी का पहला ‘ओपन शूटआउट’ कहा गया।
धनंजय सिंह ने इस घटना के बाद चार आरोपियों समेत अन्य अज्ञात लोगों के खिलाफ गैंगस्टर एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज कराया था।
ट्रायल कोर्ट ने आरोपियों को बरी किया
29 अगस्त 2025 को वाराणसी के स्पेशल जज सुशील कुमार खरवार ने साक्ष्य के अभाव में चार आरोपियों को दोषमुक्त कर दिया था। इसके बाद धनंजय सिंह ने हाईकोर्ट में अपील दायर की थी।
पीड़ित की परिभाषा पर बहस
सुनवाई के दौरान धनंजय सिंह के वकीलों ने तर्क दिया कि वे घायल और मुख्य शिकायतकर्ता हैं, इसलिए उन्हें अपील दायर करने का अधिकार है। हालांकि, राज्य की ओर से एजीए ने कहा कि गैंगस्टर एक्ट अपराध समाज के खिलाफ है और हर शिकायतकर्ता को अपील का अधिकार देने से प्रशासनिक कार्यवाहियों में जटिलता बढ़ जाएगी। कोर्ट ने राज्य के तर्क को स्वीकार करते हुए अपील को खारिज कर दिया।
इस फैसले के साथ ही 23 साल पुराना विवाद अब भी अदालत के नजरिए से राज्य और समाज के सुरक्षा ढांचे के दायरे में ही सीमित रह गया।