न्यूजीलैंड के साउथ ऑकलैंड क्षेत्र में शनिवार को सिख समुदाय द्वारा निकाले जा रहे नगर कीर्तन के दौरान तनाव की स्थिति बन गई। गुरुद्वारा नानकसर ठाठ इशर दरबार से शुरू होकर अपने निर्धारित मार्ग से लौट रहे नगर कीर्तन को कुछ स्थानीय लोगों ने बीच रास्ते में रोककर विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शनकारियों ने “दिस इज न्यूजीलैंड, नॉट इंडिया” और “यह हमारी जमीन है” जैसे नारे लिखे बैनर हाथों में ले रखे थे।

जानकारी के अनुसार करीब 30 से 35 प्रदर्शनकारी इस विरोध में शामिल थे, जिनका संबंध पेंटेकोस्टल चर्च के प्रमुख अपोस्टल बिशप ब्रायन तामाकी से बताया गया है। प्रदर्शन के दौरान नारेबाजी के साथ पारंपरिक ‘हाका’ भी किया गया। हालांकि मौके पर पहुंची न्यूजीलैंड पुलिस ने स्थिति को नियंत्रण में लिया और प्रदर्शनकारियों को मार्ग से हटाकर शांति बहाल की। इसके बाद नगर कीर्तन को सुरक्षित रूप से गुरुद्वारे तक पहुंचने दिया गया।

अचानक हुए इस विरोध से सिख समुदाय के लोग असमंजस में जरूर पड़े, लेकिन उन्होंने पूरी तरह संयम और शांति बनाए रखी। पुलिस ने दोनों पक्षों से संवाद कर किसी भी टकराव की स्थिति को टाल दिया।

केंद्र सरकार हस्तक्षेप करे: सीएम मान

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हर व्यक्ति को अपने धर्म का पालन और प्रचार करने का अधिकार है। उन्होंने इसे एक चिंताजनक घटना बताते हुए कहा कि न्यूजीलैंड जैसे विकसित देश में इस तरह का विरोध दुर्भाग्यपूर्ण है। मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार से अपील की कि वह न्यूजीलैंड सरकार से इस मुद्दे पर बात कर कड़ा संदेश दे। उन्होंने यह भी कहा कि दुनियाभर में बढ़ती एंटी-इमिग्रेशन भावना चिंता का विषय है, जबकि भारतीय मूल के लोग शांति और सद्भाव के प्रतीक हैं और न्यूजीलैंड के विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

एसजीपीसी ने जताई चिंता

शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एसजीपीसी) के अध्यक्ष एडवोकेट हरजिंदर सिंह धामी ने भी इस घटना की निंदा की। उन्होंने कहा कि सिख धर्म की नींव मानवता, भाईचारे और शांति पर आधारित है और नगर कीर्तन इन मूल्यों का प्रतीक है। ऐसे धार्मिक आयोजनों का विरोध सिख परंपराओं और गुरु साहिबान के सार्वभौमिक संदेश पर आघात है।

धामी ने भारत और न्यूजीलैंड की सरकारों से मांग की कि सिख समुदाय को अपने धार्मिक अधिकारों के पालन के लिए सुरक्षित और सम्मानजनक वातावरण उपलब्ध कराया जाए। उन्होंने कहा कि नगर कीर्तन समाज में प्रेम, एकता और सौहार्द का संदेश देता है, ऐसे आयोजनों में बाधा डालना स्वीकार्य नहीं है।