रामपुर की विशेष सांसद/विधायक अदालत ने बुधवार को बड़ा निर्देश जारी करते हुए स्पष्ट कर दिया कि समाजवादी पार्टी के नेता आज़म ख़ान और उनके बेटे अब्दुल्ला आज़म को फिलहाल रामपुर जिला जेल से कहीं और शिफ्ट नहीं किया जाएगा। अदालत ने कहा कि बिना पूर्व अनुमति दोनों को किसी अन्य जेल में भेजने पर रोक रहेगी। साथ ही अदालत ने जेल प्रशासन को आदेश दिया कि आज़म ख़ान की सेहत और उम्र को ध्यान में रखते हुए उन्हें ‘सुपीरियर क्लास’ की सुविधाएं दी जाएं और मेडिकल देखभाल में कोई कमी न रहने पाए।

न्यायाधीश शोभित बंसल ने अभियोजन और बचाव पक्ष की दलीलें सुनने के बाद यह फैसला सुनाया। अदालत का कहना था कि आज़म और उनके बेटे से जुड़े अधिकांश मामलों की सुनवाई रामपुर में ही चल रही है, इसलिए दोनों की मौजूदगी यहीं बनी रहनी चाहिए। फैसले को आज़म ख़ान के लिए राहत की बड़ी खबर माना जा रहा है, क्योंकि अब तक वे सीतापुर जेल में बंद थे और उनका बेटा अब्दुल्ला हरदोई जेल में रखा गया था।

बीते सोमवार को पिता-पुत्र को दो अलग-अलग जन्मतिथि वाले पैन कार्ड बनवाने के मामले में सात-सात साल की सजा सुनाई गई थी। इसके बाद आज़म ने कोर्ट में आवेदन देकर रामपुर जेल में रखने की मांग की थी। उन्होंने अदालत को बताया कि उनका स्वास्थ्य लगातार बिगड़ रहा है और उन पर सौ से ज्यादा मामले दर्ज हैं, जिनमें ज्यादातर की सुनवाई रामपुर में चल रही है। वहीं अब्दुल्ला के खिलाफ भी लगभग 45 मामले हैं, जिनमें से कई इसी जिले की अदालतों में लंबित हैं। आज़म ने यह भी कहा कि सेहत ठीक न होने की वजह से उन्हें अपने बेटे के सहारे की जरूरत है।

अभियोजन पक्ष ने इस याचिका का विरोध किया और तर्क दिया कि दोनों आरोपित स्वास्थ्य को बहाना बनाकर जेल में अपनी सुविधा चाह रहे हैं। उनका कहना था कि कैदियों का स्थानांतरण प्रशासनिक प्रक्रिया है, इसमें अदालत का हस्तक्षेप उचित नहीं है। इसके बावजूद अदालत ने आज़म की दलीलों को स्वीकार करते हुए दोनों को रामपुर जेल में ही रखने का निर्देश जारी कर दिया।

गौरतलब है कि आज़म ख़ान 23 सितंबर को लगभग दो साल बाद सीतापुर जेल से जमानत पर रिहा हुए थे।