लखनऊ। समाजवादी पार्टी (सपा) के वरिष्ठ नेता आजम खां और उनके बेटे अब्दुल्ला आजम खां के खिलाफ लंबित मामलों में नए developments सामने आए हैं। अभियोजन पक्ष ने सेशन कोर्ट में निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सात-सात साल की सजा बढ़ाने की अपील दाखिल की है। इसके साथ ही आजम खां के अधिवक्ताओं ने सजा में राहत के लिए तर्क प्रस्तुत किए हैं। कोर्ट 23 दिसंबर को दोनों पक्षों की दलीलों पर फैसला सुना सकती है।
दो पैन कार्ड मामले में एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट ने हाल ही में आजम खां और अब्दुल्ला आजम को सात साल की कैद और 50-50 हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस फैसले के खिलाफ दोनों पक्षों ने सेशन कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
अभियोजन पक्ष की ओर से सहायक शासकीय अधिवक्ता सीमा सिंह राणा ने कहा कि निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा बढ़ाई जानी चाहिए। वहीं, आजम खां के अधिवक्ताओं ने सजा में राहत के लिए कई तर्क कोर्ट में पेश किए।
दो पासपोर्ट मामला:
साथ ही अब्दुल्ला आजम को दो पासपोर्ट रखने के मामले में भी सात साल की सजा और 50 हजार रुपये जुर्माना दिया गया है। यह मामला 2019 में सिविल लाइंस थाने में दर्ज हुआ था। शहर विधायक आकाश सक्सेना ने आरोप लगाया था कि अब्दुल्ला ने अलग-अलग जन्मतिथियों के साथ पासपोर्ट बनवाए और उनका गलत इस्तेमाल किया।
एमपी-एमएलए मजिस्ट्रेट कोर्ट में वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पेश अब्दुल्ला को दोषी करार दिया गया। अदालत ने पाया कि अब्दुल्ला ने जानबूझकर असत्य दस्तावेज बनवाकर उन्हें आर्थिक लाभ और पहचान के लिए इस्तेमाल किया। इसमें भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 467, 468, 471 और पासपोर्ट अधिनियम की धारा 12(1) के तहत अपराध शामिल है।
अब सेशन कोर्ट में 23 दिसंबर को दोनों मामलों पर सुनवाई होगी, जिसमें यह तय होगा कि निचली अदालत द्वारा सुनाई गई सजा बढ़ाई जाएगी या राहत दी जाएगी।