बागपत: पुलिस ने सात लोगों को गिरफ्तार किया है, जो पिछले छह साल से नौकरी डॉट कॉम और ओएलएक्स पर फर्जी नौकरी के विज्ञापन डालकर देशभर के 6450 बेरोजगार युवाओं को करोड़ों रुपये की ठगी का शिकार बना रहे थे। आरोपियों ने बड़ौत, नोएडा, दिल्ली और मुजफ्फरनगर में कॉल सेंटर खोलकर युवाओं से पैसे वसूल किए।
गिरफ्तार किए गए आरोपियों में गिरोह का सरगना अनुज निवासी ख्वाजा नंगला (दिल्ली) और उसके साथ शिवानी (बेगराजपुर), आशा (नोएडा), मोहित, पुनीत, वरदान (बड़ौत) और अक्षय (सोंटा अलीपुर) शामिल हैं।
ठगी का तरीका
पुलिस के अनुसार, आरोपियों ने नौकरी डॉट कॉम और ओएलएक्स पर फर्जी विज्ञापन अपलोड किए। युवाओं ने आवेदन किया और कॉल सेंटर में बैठे ठग उन्हें नौकरी का झांसा देते हुए 20 से 25 हजार रुपये तक वसूलते थे। आवेदन प्रक्रिया के दौरान युवाओं को बैंक या कंपनियों के नियुक्ति पत्र भेजे जाते, लेकिन कुछ दिन बाद फोन नहीं उठते और नंबर ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता।
युवाओं को फंसाने के लिए ऑनलाइन इंटरव्यू भी आयोजित किए जाते थे। गिरोह के सदस्य कभी अपने साथी को अधिकारी बताकर, कभी खुद को अधिकारी बताकर युवाओं का इंटरव्यू लेते थे।
साइबर ठगी का विस्तार
जांच में पता चला कि युवाओं के आधार कार्ड और बैंक खाते का दुरुपयोग कर सिम और बैंक लेनदेन में भी ठगी की गई। गिरोह के सदस्यों ने मजदूर वर्ग के लोगों को फंसाकर उनके आधार कार्ड से सिम अनुज को दिलवाए और बैंक खाते खोलकर पैसे मंगवाए।
पुलिस की कार्रवाई
एसपी सूरज कुमार राय ने बताया कि गिरफ्तारी के दौरान आरोपियों के पास से 6450 नौकरी पत्र, 12 मोबाइल, 2 सिमकार्ड, 2 लैपटॉप, 15 बैंक पासबुक और चेकबुक समेत अन्य सामान बरामद हुआ। इसमें उत्तर प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, हरियाणा और राजस्थान के युवाओं के नाम से भेजे गए नियुक्ति पत्र शामिल हैं।
एसपी ने कहा कि कोरोना काल में गिरोह ने कॉल सेंटर खोलकर ठगी का दायरा बढ़ा लिया था। पहले मोबाइल फोन के जरिए ठगी होती थी, लेकिन बाद में अधिक व्यवस्थित रूप से कॉल सेंटर से लाखों रुपये की ठगी की जाने लगी।