उत्तर प्रदेश में स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की प्रक्रिया पूरी कर ली गई है। इस कवायद के बाद प्रदेश की मतदाता सूची से कुल 2 करोड़ 88 लाख 75 हजार 230 नाम हटाए गए हैं। निर्वाचन विभाग की ओर से अब 31 दिसंबर को ड्राफ्ट वोटर लिस्ट जारी की जाएगी। उससे पहले सभी जिलों की स्थिति सामने आ चुकी है।

जिलेवार आंकड़ों पर नजर डालें तो यह साफ होता है कि बड़े शहर इस प्रक्रिया में सबसे पीछे रहे। राजधानी लखनऊ इस सूची में सबसे ऊपर है, जहां करीब 12 लाख मतदाताओं के नाम हटाए गए। इसके बाद प्रयागराज का स्थान है, जहां 11 लाख 56 हजार से अधिक वोटरों के नाम सूची से बाहर हुए

निर्वाचन अधिकारियों के अनुसार, मतदाता सूची से नाम हटने के प्रमुख कारणों में मतदाताओं की मृत्यु, पता न चलना, स्थायी रूप से दूसरे स्थान पर स्थानांतरण, पहले से किसी अन्य स्थान पर पंजीकरण और अन्य तकनीकी कारण शामिल हैं। SIR के तहत मतदाता रिकॉर्ड को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपडेट किया गया, लेकिन कई शहरी जिलों में डिजिटाइजेशन की रफ्तार अपेक्षाकृत धीमी रही।

पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों—जैसे मेरठ, गाजियाबाद, नोएडा, आगरा और कानपुर नगर—में भी बड़ी संख्या में वोट कटे हैं। इनमें गाजियाबाद और कानपुर नगर जैसे शहरी क्षेत्रों में 25 प्रतिशत से अधिक नाम हटने की पुष्टि हुई है। वहीं ग्रामीण और बुंदेलखंड अंचल के जिलों में स्थिति तुलनात्मक रूप से बेहतर रही।

पूर्वी उत्तर प्रदेश में भी SIR के दौरान भारी संख्या में नाम हटाए गए। प्रयागराज, जौनपुर, आजमगढ़, गोरखपुर और बलिया जैसे जिलों में लाखों वोटर सूची से बाहर हुए। हालांकि, प्रतिशत के लिहाज से ललितपुर जिला सबसे आगे रहा, जहां 90 प्रतिशत से अधिक मतदाता रिकॉर्ड डिजिटाइज किए गए।

मध्य और अवध क्षेत्र की बात करें तो यहां भी करीब 98 लाख नाम वोटर लिस्ट से हटाए गए। लखनऊ के बाद सीतापुर, हरदोई, बहराइच, खीरी और कुशीनगर में सबसे ज्यादा नाम कटे। इन जिलों में शहरीकरण, पलायन और रिकॉर्ड अपडेट न होने को मुख्य वजह बताया गया है।

निर्वाचन विभाग का कहना है कि ड्राफ्ट सूची जारी होने के बाद आपत्तियों और दावों की प्रक्रिया शुरू की जाएगी, ताकि पात्र मतदाताओं को दोबारा सूची में शामिल किया जा सके। अधिकारियों ने मतदाताओं से अपील की है कि वे आगामी सूची जारी होते ही अपने नाम की जांच जरूर करें और किसी भी त्रुटि की स्थिति में समय रहते आवेदन करें।