धर्मांतरण मामला: ‘अमीना’ और ‘जोया’ बन गई थीं बेटियां, पिता बोले- वक़्त रहते योगी सरकार ने बचा लिया

आगरा। धर्मांतरण गिरोह के चंगुल से छुड़ाई गई दो सगी बहनों के पिता रविवार को मीडिया के सामने आए। उन्होंने उत्तर प्रदेश सरकार और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस मामले में त्वरित कार्रवाई के लिए धन्यवाद दिया। साथ ही इस गिरोह की रणनीतियों को लेकर कई अहम बातें साझा कीं।

पिता ने बताया कि यह सिलसिला वर्ष 2021 में शुरू हुआ जब उनकी बड़ी बेटी पीएचडी की तैयारी कर रही थी। उसी कोचिंग संस्थान में जम्मू-कश्मीर की कुछ छात्राएं भी आती थीं। उन्हीं में से एक युवती ने उसकी बेटी को इस्लाम धर्म अपनाने के लिए मानसिक रूप से तैयार करना शुरू किया। इस युवती ने उनकी पत्नी से भी फोन पर संपर्क साधा। उनका मानना है कि युवती की मंशा पूरे परिवार का धर्म परिवर्तन करवाने की थी।

पिता ने यह भी बताया कि ऐसे गिरोह पहले अपने निशाने तय करते हैं और फिर मौके की प्रतीक्षा करते हैं। ये लोग अक्सर बालिग युवाओं को टारगेट बनाते हैं, भले ही इसके लिए दो-तीन साल इंतजार करना पड़े। जैसे ही युवक या युवती 18 साल के होते हैं, इनपर काम शुरू कर दिया जाता है। लगातार ब्रेनवॉश कर धर्मांतरण की प्रक्रिया अपनाई जाती है।

उन्होंने कहा कि यदि समय रहते मुख्यमंत्री योगी और यूपी पुलिस ने हस्तक्षेप न किया होता, तो बेटियों को वापस लाना संभव नहीं होता।

घटना की पृष्ठभूमि

पुलिस के अनुसार, सदर बाजार क्षेत्र में रहने वाली पंजाबी परिवार की बड़ी बेटी एमफिल तक की पढ़ाई कर चुकी है। 2020 में उसकी जान-पहचान जम्मू-कश्मीर की उधमपुर निवासी साइमा उर्फ खुशबू से हुई। दोनों के बीच गहरी दोस्ती हो गई। साइमा आगरा में लाइफ साइंस की पढ़ाई कर रही थी। 2021 में वह बड़ी बेटी को जम्मू-कश्मीर भी लेकर गई, जहां अचानक लैंड स्लाइड के चलते उनकी गाड़ी फंस गई। इस दौरान साइमा ने खुद को एक रिटायर्ड इंस्पेक्टर की बेटी बताया।

परिवार जब बेटी को वापस लेकर आया, तो उन्होंने देखा कि वह पूजा-पाठ से दूरी बना चुकी है और इस्लाम धर्म के अनुसार जीवन जीने लगी है। उसके पास कुरान से संबंधित किताबें डाक से आती थीं और वह मस्जिद की अजान पर जागकर नमाज अदा करने लगी थी। इस पर परिवार चिंतित हुआ और उन्होंने उसका काउंसलिंग कराया, पर वह नहीं मानी। उन्हें उम्मीद नहीं थी कि बड़ी बेटी अपनी छोटी बहन को भी प्रभावित कर देगी।

24 मार्च को दोनों बहनें घर से निकल गईं। पहले दिल्ली गईं, फिर कोलकाता पहुंचीं। इसके बाद उनका परिवार से संपर्क टूट गया।

बन गई थीं ‘अमीना’ और ‘जोया’

कोलकाता में बहनों की मुलाकात बैरकपुर निवासी रीत बनिक उर्फ मोहम्मद इब्राहिम से हुई। उसने उन्हें मुस्लिम बहुल क्षेत्र में ठहराया। वहां छोटी बहन का भी धर्म परिवर्तन करा दिया गया। बड़ी बेटी ने अपना नाम ‘अमीना’ और छोटी ने ‘जोया’ रख लिया। गिरोह के लोग पूरी योजना के तहत काम कर रहे थे। उनका उद्देश्य था कि दोनों बहनों का निकाह कराकर उन्हें वापस लौटने से रोका जाए। वे सोशल मीडिया पर इस्लाम के पक्ष में प्रचार भी करने लगी थीं।

मुख्यमंत्री और डीजीपी तक पहुंचा मामला

जब परिवार से संपर्क टूट गया, तो मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डीजीपी राजीव कृष्ण तक पहुंचा। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर अमिताभ यश ने केस की निगरानी शुरू की और आगरा पुलिस को नियमित रूप से अपडेट देने के निर्देश दिए।

सोशल मीडिया पर एके-47 के साथ तस्वीर

जांच के दौरान पुलिस को एक सोशल मीडिया अकाउंट मिला, जो बड़ी बहन का था। उस पर एके-47 के साथ उसकी तस्वीर प्रोफाइल पिक्चर के रूप में लगी थी। यह देख पुलिस को मामले की गंभीरता का आभास हुआ।

4000 रुपये लेकर गई थीं बहनें

दोनों बहनें घर से निकलते समय करीब चार हजार रुपये और कुछ जरूरी दस्तावेज साथ लेकर गई थीं। उन्होंने अपने मोबाइल फोन भी घर पर ही छोड़ दिए थे ताकि कोई उनसे संपर्क न कर सके। परिवार ने पुलिस को जानकारी दी कि इससे पहले भी फरवरी 2021 में बड़ी बेटी घर से जा चुकी थी, तब उसे उधमपुर पुलिस की मदद से वापस लाया गया था। लेकिन उस समय स्थानीय थाना पुलिस ने गंभीरता नहीं दिखाई। अंततः 4 मई 2025 को गुमशुदगी की रिपोर्ट को अपहरण के मुकदमे में बदला गया।

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