लखनऊ। गोमतीनगर स्थित केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय में आयोजित 10 दिवसीय खादी महोत्सव-2025 इस वर्ष रिकॉर्ड बिक्री के साथ संपन्न हुआ। ‘धागे से धरोहर तक’ थीम पर आधारित इस आयोजन में कुल बिक्री ₹3.20 करोड़ पहुंच गई, जो पिछले वर्ष की तुलना में करीब 42 प्रतिशत अधिक है। समापन दिवस पर खरीदारी चरम पर रही और देर शाम तक स्टॉलों पर भारी भीड़ जुटी रही। खादी परिधान, हर्बल उत्पाद, जूट-हस्तशिल्प और माटी कला के सामान सबसे अधिक पसंद किए गए।
महोत्सव में खादी संस्थानों के 32, ग्रामोद्योग के 120 और माटी कला के 8 स्टॉलों सहित कुल 160 उद्यमियों ने भागीदारी की। लखनऊ, गोरखपुर, मुजफ्फरनगर, बाराबंकी और अन्य जिलों से आए कारीगरों ने बताया कि इस बार न केवल भीड़ बढ़ी, बल्कि खरीदारी को लेकर उत्साह भी पिछले वर्षों की तुलना में अधिक रहा।
स्वराज्य आश्रम के प्रेम कुमार, ग्राम सेवा संस्थान के सतेन्द्र कुमार, मुजफ्फरनगर के अब्बास अंसारी, जूट आर्टिज़न्स की अंजलि सिंह, बाराबंकी के प्रेमचन्द्र और रॉयल हनी के प्रो. नितिन सिंह ने बताया कि विशेष रूप से युवा उपभोक्ताओं की संख्या में उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है, जिसने बिक्री को नई गति दी।
पूरे आयोजन के दौरान युवाओं, छात्रों और महिलाओं का उत्साह देखते बना। आगंतुकों का कहना था कि एक ही स्थान पर खादी, स्थानीय शिल्प और प्राकृतिक उत्पादों की विस्तृत श्रृंखला उपलब्ध होना एक विश्वसनीय और आकर्षक अनुभव रहा।
समापन अवसर पर खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी शिशिर ने सभी प्रतिभागियों और आयोजन समिति का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि खादी अब केवल परिधान नहीं, बल्कि सांस्कृतिक पहचान और आधुनिक उपभोक्ता संवेदना – दोनों का संगम बन चुकी है।