लखनऊ। प्रदेश में नव भारत साक्षरता कार्यक्रम 2025-26 के तहत अब 15 वर्ष से अधिक आयु वाले असाक्षर लोगों और वालंटियर्स का सर्वे परिषदीय विद्यालयों के शिक्षामित्र करेंगे। पहले यह जिम्मेदारी शिक्षकों की थी, लेकिन इस बार सरकार ने इसे बदलकर शिक्षामित्रों को सौंप दिया है।

शिक्षामित्र अपने-अपने ग्राम पंचायतों में घर-घर जाकर असाक्षर व्यक्तियों की पहचान करेंगे और ऐसे वालंटियर्स का चयन करेंगे जो साक्षरता अभियान से जुड़कर लोगों को पढ़ने-लिखने में मदद कर सकें। सभी जानकारी शिक्षामित्र अपने प्रधानाध्यापक को सौंपेंगे। सर्वे का डेटा एनआइएलपी (नव भारत साक्षरता कार्यक्रम) सर्वे एप पर दर्ज किया जाएगा, ताकि समय पर और सटीक जानकारी उपलब्ध हो।

साक्षरता एवं वैकल्पिक शिक्षा निदेशालय ने पहले से निर्धारित प्रक्रिया के आधार पर इस वर्ष का लक्ष्य तय किया है। महानिदेशक स्कूल शिक्षा मोनिका रानी ने जिला बेसिक शिक्षा अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि वे सर्वे की निगरानी करें और शिक्षामित्र एप पर निर्धारित फार्मेट में समय से जानकारी अपलोड करें। अभियान का मुख्य उद्देश्य हर गांव में असाक्षरों की सही संख्या जुटाना, वालंटियर्स तैयार करना और घर-घर संपर्क स्थापित करना है।

विशेषज्ञों का मानना है कि शिक्षामित्रों की सक्रिय भूमिका और मोबाइल एप आधारित सर्वे से साक्षरता अभियान और अधिक प्रभावी और तेज़ी से आगे बढ़ सकेगा।

अभियान 2027 तक जारी रहेगा
नव भारत साक्षरता कार्यक्रम प्रदेश में 15 वर्ष से अधिक आयु के असाक्षरों को शिक्षित करने के लिए 1 अप्रैल 2022 से शुरू हुआ था और यह 31 मार्च 2027 तक चलेगा। अभियान में असाक्षरों को 200 घंटे के माड्यूल के माध्यम से पढ़ना-लिखना सिखाया जाता है।

हालांकि कुछ जिलों में प्रदर्शन कमजोर रहा है। प्रयागराज, रायबरेली, जौनपुर, अमरोहा, जालौन, मऊ, गाजीपुर, मुजफ्फरनगर और गाजियाबाद जैसे जिलों में चार प्रतिशत से कम सर्वे कार्य पूरा हुआ है। इस कारण इन क्षेत्रों में अभियान को गति देने की आवश्यकता है।