लखनऊ: प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं पर प्रभावी अंकुश लगाने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने 1 से 31 जनवरी 2026 तक राज्यव्यापी ‘सड़क सुरक्षा माह’ आयोजित करने के निर्देश दिए हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि केवल चालान काटना हादसों को रोकने का स्थायी समाधान नहीं है। आदतन यातायात नियम तोड़ने वालों पर कड़ी कार्रवाई होनी चाहिए, जिसके तहत ड्राइविंग लाइसेंस निरस्त करने और वाहन सीज करने की स्पष्ट व्यवस्था बनाकर सख्ती से पालन कराया जाए।
नए वर्ष की शुरुआत को लेकर मुख्यमंत्री ने कहा कि औपचारिक कार्यक्रमों की बजाय सड़क सुरक्षा जैसे संवेदनशील विषय पर ठोस संकल्प के साथ आगे बढ़ना चाहिए। वरिष्ठ अधिकारियों, मंडलायुक्तों और जिलाधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक में उन्होंने निर्देश दिए कि सड़क सुरक्षा अभियान केवल कागजी औपचारिकता न रहे, बल्कि इसे जन आंदोलन का रूप दिया जाए।
मुख्यमंत्री ने सड़क सुरक्षा माह को ‘4-ई मॉडल’—शिक्षा, प्रवर्तन, इंजीनियरिंग और इमरजेंसी केयर—के आधार पर संचालित करने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि शिक्षा के माध्यम से बच्चों, युवाओं और आम नागरिकों में सुरक्षित सड़क व्यवहार विकसित किया जाए। प्रवर्तन के तहत यातायात नियमों का सख्ती से पालन कराया जाए। इंजीनियरिंग के स्तर पर ब्लैक स्पॉट और खतरनाक स्थानों की पहचान कर सुधार कार्य किए जाएं, जबकि इमरजेंसी केयर में त्वरित एम्बुलेंस सेवा और बेहतर ट्रॉमा सुविधाएं सुनिश्चित हों।
बैठक में मुख्यमंत्री को बताया गया कि वर्ष 2025 में नवंबर तक प्रदेश में 46,223 सड़क दुर्घटनाएं दर्ज की गईं, जिनमें 24,776 लोगों की जान गई। इस पर चिंता जताते हुए उन्होंने निर्देश दिए कि जनवरी के पहले सप्ताह में तहसील, ब्लॉक, जिला और प्रमुख मुख्यालयों पर जागरूकता से जुड़े पोस्टर, बैनर और अन्य सामग्री अनिवार्य रूप से लगाई जाए। राष्ट्रीय सेवा योजना, एनसीसी, आपदा मित्र, स्काउट-गाइड और सिविल डिफेंस जैसे संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित की जाए।
मुख्यमंत्री ने सड़क इंजीनियरिंग की खामियों पर भी सख्त रुख अपनाया। उन्होंने कहा कि खराब साइनेज, अव्यवस्थित कट, अंधे मोड़ और गलत तरीके से बने स्पीड ब्रेकर दुर्घटनाओं का बड़ा कारण हैं। लोक निर्माण विभाग और संबंधित एजेंसियों को समयबद्ध सुधार कार्य करने के निर्देश दिए गए। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि केवल मानक टेबल-टॉप स्पीड ब्रेकर ही बनाए जाएं और सभी सड़कों का नियमित रोड सेफ्टी ऑडिट कराया जाए। साथ ही एम्बुलेंस सेवाओं और स्कूल वाहनों की फिटनेस की विशेष जांच कराने को कहा गया।
अधिक दुर्घटनाओं वाले जिलों—हरदोई, प्रयागराज, आगरा और कानपुर—को लेकर मुख्यमंत्री ने संबंधित जिलाधिकारियों से संवाद कर विशेष कार्ययोजना बनाने और उसके कड़े अनुपालन के निर्देश दिए। उन्होंने हाईवे और एक्सप्रेसवे के किनारे लंबे समय तक खड़े वाहनों, डग्गामार वाहनों और ट्रकों को गंभीर हादसों का कारण बताते हुए इनके खिलाफ प्रभावी कार्रवाई करने पर भी जोर दिया।