देशभर में बेसिक शिक्षकों के लिए शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य बनाने के प्रस्ताव के विरोध में शिक्षकों का आंदोलन एक बार फिर तेज हो गया है। संसद सत्र के दौरान शिक्षकों ने दो दिवसीय अभियान चलाकर विभिन्न सांसदों को ज्ञापन सौंपे और अपने पक्ष को मजबूती से रखा।
टीचर फेडरेशन ऑफ इंडिया (TFI) की ओर से चलाए गए इस अभियान के तहत उत्तर प्रदेश में भी बड़े पैमाने पर ज्ञापन दिए गए। संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा के अनुसार, गाजीपुर के सांसद अफजाल अंसारी, अयोध्या के सांसद अवधेश प्रसाद, अमरोहा के सांसद, राज्यसभा सदस्य रामगोपाल यादव, अलीगढ़ के सांसद सतीश कुमार गौतम, मेरठ और भदोही के सांसद विनोद कुमार बिंद सहित कई जनप्रतिनिधियों को ज्ञापन सौंपा गया।
TFI की मुख्य मांग है कि 29 जुलाई 2011 से पूर्व नियुक्त शिक्षकों को सेवा जारी रखने और पदोन्नति के लिए टीईटी से छूट दी जाए। संगठन ने यह भी संकेत दिया कि जल्द ही दिल्ली में बड़े आंदोलन की घोषणा की जा सकती है।
इसी मुद्दे पर अखिल भारतीय प्राथमिक शिक्षक संघ ने 11 दिसंबर को दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रस्तावित धरने को लेकर रणनीति तैयार की है। रविवार को हुई ऑनलाइन बैठक में राष्ट्रीय अध्यक्ष सुशील कुमार पांडेय ने तैयारियों की समीक्षा करते हुए देशभर के शिक्षकों से व्यापक भागीदारी की अपील की। उन्होंने सांसदों द्वारा संसद में यह मुद्दा उठाने के लिए आभार भी व्यक्त किया।
उधर, अखिल भारतीय शिक्षक संघर्ष मोर्चा ने केंद्र सरकार से मांग की है कि शीघ्र अध्यादेश लाकर टीईटी की अनिवार्यता समाप्त की जाए। संघ के पदाधिकारियों का कहना है कि यदि जल्द निर्णय नहीं लिया गया, तो संगठन एक बार फिर व्यापक आंदोलन की राह पर लौटेगा।