बरेली। बरेली में गर्भवती महिला ने अलग-अलग समय पर निजी और सरकारी केंद्रों पर अल्ट्रासाउंड कराई थी, जिसमें जुड़वा बच्चे होने की पुष्टि हुई थी। लेकिन आठ दिसंबर को महिला अस्पताल में प्रसव के समय केवल एक बच्ची का जन्म हुआ, जिससे परिवार में चिंता और सवाल खड़े हो गए।
भुता के गजनेरा निवासी सुरेश बाबू की पत्नी राजेश्वरी देवी को आठ दिसंबर को सुबह प्रसव पीड़ा शुरू हुई। आशा कार्यकर्ता गुड्डी देवी के साथ वह महिला अस्पताल पहुंचीं। अपराह्न 3:30 बजे एक बच्ची का जन्म हुआ। परिजनों के अनुसार, लगभग तीन महीने पहले निजी सेंटर और पिछले महीने महिला अस्पताल में कराई गई अल्ट्रासाउंड जांच में दोनों में जुड़वा बच्चे होने की जानकारी दी गई थी।
परिजनों का आरोप
सुरेश बाबू ने बताया कि जन्म के बाद जब उन्होंने स्टाफ से रिपोर्ट और स्पष्टीकरण मांगा, तो उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिला। उन्होंने आरोप लगाया कि सरकारी जांच रिपोर्ट उन्हें नहीं दी गई और प्रसव कक्ष से सामान लेने के लिए बाहर भेज दिया गया।
सुरेश ने कहा कि प्रसव कक्ष में दादी भी मौजूद थीं, लेकिन प्रसव से कुछ मिनट पहले ही उन्हें बाहर भेज दिया गया। बाद में जब दादी वापस आईं, तो बच्ची का जन्म हो चुका था। बच्ची को गोद में देकर स्टाफ ने मिठाई मांग ली, जबकि परिवार ने बधाई के रूप में एक हजार रुपये दिए।
अस्पताल का बयान
महिला अस्पताल के सीएमएस डॉ. त्रिभुवन प्रसाद ने कहा कि परिवार ने अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दिखाई है, जिसमें जुड़वा बच्चे होने का उल्लेख है, लेकिन केस शीट में केवल एक बच्ची का जन्म दर्ज है। उन्होंने कहा कि परिजनों ने लिखित शिकायत नहीं दी है, लेकिन मामले की जांच शुरू कर दी गई है।
अस्पताल प्रशासन ने बताया कि प्रारंभिक जांच में तकनीकी त्रुटि की संभावना जताई गई है और सभी दस्तावेजों का मिलान कर प्रकरण की गहन समीक्षा की जा रही है।