लखनऊ। यूपी विधान परिषद में बुधवार को राष्ट्रगीत ‘वंदे मातरम’ को लेकर बहस हुई। चर्चा की शुरुआत नेता सदन और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने की। उन्होंने कहा कि आज हम वंदे मातरम की 150वीं वर्षगांठ मना रहे हैं। मौर्य ने इसे सिर्फ गीत नहीं बल्कि विकास और जनकल्याण का प्रतीक बताया। उन्होंने कहा कि चार करोड़ गरीब परिवारों को प्रधानमंत्री आवास, हर घर नल और शौचालय, 64 करोड़ जनधन खाते, 80 करोड़ लोगों को अन्न, प्रत्येक गांव में बिजली की पहुंच—यही वंदे मातरम है। उन्होंने राम मंदिर और कुंभ मेला के आयोजन को भी वंदे मातरम का हिस्सा बताया।

केशव मौर्य ने विपक्ष पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि तुष्टीकरण की राजनीति के कारण कुछ नेताओं ने देशभक्ति और भारत माता के प्रति अपमानजनक बयान दिए। उन्होंने यह भी दावा किया कि वंदे मातरम के टुकड़े होने पर ही देश विभाजित हुआ, जबकि शताब्दी वर्ष के समय आपातकाल लगाया गया और संविधान का हनन हुआ।

विवादास्पद चर्चा में भाजपा के तारिक मंसूर, प्रज्ञा त्रिपाठी, संतोष सिंह, ऋषिपाल सिंह, शिक्षक दल के ध्रुव त्रिपाठी, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के बिच्छे लाल, रालोद के योगेश चौधरी ने भी विचार साझा किए।

वहीं, नेता विपक्ष लाल बिहारी यादव ने कहा कि वंदे मातरम गुलामी से मुक्ति दिलाने वाली अमर गाथा है। यह किसी संगठन या विचारधारा की जागीर नहीं है। उन्होंने असली मुद्दों—किसानों की परेशानियों, बेरोजगारी और महंगाई—पर ध्यान देने की आवश्यकता जताई और कहा कि देशभक्ति का प्रमाण नारे लगाने से नहीं बल्कि कार्यों से साबित होता है।

सपा सदस्य किरणपाल कश्यप ने आरएसएस पर बैन, कोडीन कफ सिरप और एसआईआर से जुड़े मुद्दे उठाए, जबकि मानसिंह यादव ने डॉ. आंबेडकर के अपमान का मामला उठाया। इससे सदन में सत्ता और विपक्ष के बीच कड़ी नोकझोंक हुई। अधिष्ठाता सलित विश्नोई ने सदस्यों से अपील की कि वे चर्चा को गंभीर रखें और माहौल खराब न करें।