प्रसिद्ध कथावाचक अनिरुद्धाचार्य के हालिया बयान को लेकर राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष बबिता चौहान ने कड़ा रुख अपनाया है। बृहस्पतिवार को मथुरा पहुंचीं आयोग अध्यक्ष ने कहा कि महिलाओं के प्रति कथित आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल किसी भी सूरत में स्वीकार्य नहीं है। उन्होंने कहा कि कथावाचक अगर व्यासपीठ से समाज को ज्ञान बांटते हैं, तो उन्हें सबसे पहले खुद मर्यादित और विवेकशील होना चाहिए।
बबिता चौहान ने कहा कि कम उम्र में मिली ख्याति को अनिरुद्धाचार्य ठीक से संभाल नहीं पा रहे हैं और महिलाओं के खिलाफ की गई ऐसी टिप्पणी अत्यंत निंदनीय है। उन्होंने यह भी कहा कि इस पूरे मामले को महिला आयोग ने गंभीरता से लिया है और कई महिला अधिवक्ताओं ने इसकी औपचारिक शिकायत भी की है।
अध्यक्ष ने कहा, “व्यासपीठ पर बैठने वालों की जिम्मेदारी है कि वे समाज में सकारात्मक और संस्कारित संदेश दें। इस तरह की भाषा का उपयोग कर कथावाचक क्या उदाहरण प्रस्तुत करना चाहते हैं?” उन्होंने कथावाचक के बयान को “विनाशकाले विपरीत बुद्धि” का प्रतीक बताते हुए कहा कि वह स्वयं हवन कर भगवान से प्रार्थना करेंगी कि अनिरुद्धाचार्य को सद्बुद्धि मिले।
उन्होंने यह भी याद दिलाया कि यह पहली बार नहीं है जब कथावाचक द्वारा मंच से अनुचित शब्दों का प्रयोग किया गया है। उन्होंने कहा कि कथाओं का उद्देश्य भारतीय संस्कृति और मूल्यों को जीवित रखना है, न कि महिलाओं को अपमानित करना।