मुजफ्फरनगर। जेल में बंद गैंगस्टर नीरज बाबा को फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर जमानत दिलाने का मामला सामने आया है। पुलिस ने इस मामले में नीरज बाबा और एक अधिवक्ता के खिलाफ सिविल लाइन थाने में रिपोर्ट दर्ज की है। जांच में सामने आया कि जमानत के दस्तावेजों की पुष्टि के लिए कागजात थाने तक भी नहीं पहुंचे थे।
नीरज उर्फ बाबा उर्फ चीता उर्फ पंडित, जो मेरठ जिले के गांव रोहटा, चिंदौड़ी का निवासी है, को कोर्ट में हाज़िर न होने के कारण उसके खिलाफ वारंट जारी किया गया था। इसके बाद जमानतियों की पुष्टि कराने के आदेश दिए गए, लेकिन किसी ने भी कोर्ट में हाज़िरी नहीं दी। अंततः कोर्ट ने नीरज बाबा को 5 अगस्त तक पेश करने का आदेश खतौली पुलिस को दिया।
जांच में पता चला कि नीरज बाबा चिंदौड़ी में नहीं रहता, उसने मकान और जमीन बेचकर 12 साल पहले गांव छोड़ दिया था। ग्राम प्रधान रजनी ने भी इसकी पुष्टि की। वहीं जमानती बताए गए हस्तिनापुर के गगन विहार निवासी बिलख राम और उसके बड़े भाई प्रताप सिंह भी अपने पते पर मौजूद नहीं थे। यहां तक कि गगन विहार नामक मोहल्ला भी नहीं था।
दूसरी जांच में लेखपाल सचिन सैनी ने बताया कि बिलखराम और प्रताप सिंह वास्तव में मवाना कोतवाली के गांव तिगरी में रहते हैं। बिलखराम के बेटे विनय तोमर ने बताया कि उनका पिता जमानत लेने से इनकार करता है और ताऊ प्रताप सिंह 2008 में मृत हो चुके हैं।
थाना प्रभारी हस्तिनापुर ने जमानत के दस्तावेजों की पुष्टि न करने और थाने के रिकॉर्ड में जमानतियों के नाम न होने की बात स्वीकार की। जांच में यह भी पाया गया कि अधिवक्ता योगेंद्र कुमार ने कोर्ट में जमानत आवेदन पेश करते समय फर्जी दस्तावेज़ों का इस्तेमाल किया, जिससे नीरज बाबा को जमानत मिल गई।
एसपी सिटी सत्य नारायण प्रजापत ने पुष्टि की कि सिविल लाइन थाने में दोनों आरोपियों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है और मामले की जांच जारी है।