मुजफ्फरनगर में एक युवक को छेड़छाड़ और दुष्कर्म के प्रयास के मामले में न्यायालय ने दोषमुक्त कर दिया है। यह मामला लगभग सात साल से लंबित था। आरोपी युवक ने तीन माह जेल में बिताए थे, जिसके बाद हाईकोर्ट से उसे जमानत मिली थी। मुकदमे की सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष आरोप को साबित नहीं कर सका।
बचाव पक्ष के वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप त्यागी ने बताया कि अप्रैल 2018 में मंसूरपुर के एक गांव में यह घटना हुई थी। पीड़िता की 10 वर्षीय भतीजी दिशा शौच के लिए गई थी, तभी आरोपी अंशुल त्यागी ने उसका पीछा किया और उसके साथ छेड़छाड़ और दुष्कर्म का प्रयास किया।
पीड़िता ने अपनी आपबीती परिजनों को बताई, जिसके बाद आरोपी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। पुलिस ने अंशुल त्यागी को गिरफ्तार किया और जेल भेजा, तब हाईकोर्ट से उसे जमानत मिली।
मुकदमे की सुनवाई अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश विशेष पॉक्सो कोर्ट-प्रथम की न्यायाधीश मंजू भालोटिया की अदालत में हुई। अभियोजन पक्ष ने वादी और पीड़िता समेत कुल पांच गवाह पेश किए। बचाव पक्ष में वरिष्ठ अधिवक्ता संदीप त्यागी के साथ आबिद एडवोकेट और टीटू सिंह एडवोकेट ने पैरवी की।
न्यायालय ने दोनों पक्षों की दलीलों को सुना और सभी दस्तावेजों का अवलोकन किया। बचाव पक्ष ने तर्क दिया कि गवाहों और पीड़िता के बयान, साथ ही 164 सीआरपीसी के बयान में विरोधाभास हैं। अभियोजन पक्ष कोई ठोस साक्ष्य प्रस्तुत नहीं कर सका।
अंततः न्यायालय ने अंशुल त्यागी को निर्दोष मानते हुए बरी कर दिया।