चीन, जो दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, इस समय गंभीर आर्थिक दबाव झेल रहा है। अक्टूबर के नए आंकड़ों से पता चला है कि देश का औद्योगिक उत्पादन और रिटेल सेल्स पिछले एक साल में सबसे धीमी गति से बढ़े हैं। दशकों तक तेज़ ग्रोथ के लिए प्रसिद्ध चीन अब घरेलू मांग में सुस्ती और निवेश में गिरावट जैसी चुनौतियों का सामना कर रहा है।
पुराने आर्थिक मॉडल अब कारगर नहीं
चीन की लंबी अवधि की ग्रोथ की दो रणनीतियां — बड़े पैमाने पर निर्यात और सरकारी निवेश के जरिए इंफ्रास्ट्रक्चर का विकास — अब प्रभावित हैं। अमेरिकी टैरिफ और बाजार में मंदी ने निर्यात को ठेस पहुंचाई है, जबकि नए औद्योगिक प्रोजेक्ट्स और पावर यूनिट्स के निर्माण से अब अपेक्षित ग्रोथ नहीं मिल रही।
घरेलू बाजार में गिरावट
राष्ट्रीय सांख्यिकी ब्यूरो के अनुसार, अक्टूबर में औद्योगिक उत्पादन केवल 4.9% बढ़ा, जो सितंबर के 6.5% से कम है। रिटेल बिक्री भी 2.9% रही, जो उम्मीद के अनुरूप नहीं है। ‘सिंगल्स डे’ शॉपिंग फेस्टिवल जैसी बड़ी खरीदारी के दौरान भी ग्राहक खर्च में तेजी नहीं दिखी, जो घरेलू मांग की कमजोरी को दर्शाता है।
निर्यात और ऑटो सेक्टर को झटका
अमेरिकी मंदी और ऊंचे टैरिफ के कारण चीन का निर्यात कमजोर पड़ा है। ऑटो उद्योग में भी गिरावट देखी गई है, जबकि साल का आखिरी क्वार्टर सामान्यतः कार बिक्री के लिए सबसे मजबूत माना जाता है।
निवेश और प्रॉपर्टी में गिरावट
जनवरी से अक्टूबर के बीच फिक्स्ड एसेट निवेश में 1.7% की गिरावट दर्ज हुई। प्रॉपर्टी सेक्टर में नई घरों की कीमतें पिछले एक साल में सबसे तेज़ी से गिरी हैं।
सरकारी रणनीति और राहत पैकेज पर सवाल
चीन की कम्युनिस्ट पार्टी ने घरेलू खपत बढ़ाने और औद्योगिक आधार मजबूत करने की दिशा तय की है, लेकिन बड़े सरकारी प्रोत्साहन की संभावना कम है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि यदि घरेलू मांग, निर्यात और निवेश कमजोर रहते हैं, तो 2026 तक सरकार को बड़े आर्थिक सुधार या राहत पैकेज की घोषणा करनी पड़ेगी, वरना चीन की ग्रोथ ठप पड़ सकती है।