नई दिल्ली। जेपी ग्रुप से जुड़ी एक बड़ी जांच में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मनोज गौड़ को गिरफ्तार कर लिया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग और घर खरीदारों के निवेश का कथित गलत इस्तेमाल करने के आरोपों में की गई है। ED के अनुसार, जेपी एसोसिएट्स लिमिटेड (JAL) और उससे जुड़ी कंपनियों के जरिए करीब 12,000 करोड़ रुपये की गड़बड़ी सामने आई है।
ED ने आरोप लगाया है कि जेपी इंफ्राटेक ने अपने रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में घर खरीदारों से लिए गए पैसे का अन्य परियोजनाओं में निवेश किया और उनका अनुचित इस्तेमाल किया। इसके कारण कई निवेशकों को नुकसान झेलना पड़ा और उनके फंसे हुए पैसे अभी भी लौटाए नहीं गए हैं।
इस मामले की जड़ें 2017 तक जाती हैं, जब कई खरीदारों ने बिल्डर के खिलाफ प्रदर्शन किया और अपने पैसे के दुरुपयोग का आरोप लगाया था। ED की जांच अब इस बात की पुष्टि करने की कोशिश कर रही है कि इस घोटाले में कितने पैसे का गलत इस्तेमाल हुआ और इसके लिए जिम्मेदार कौन हैं। मनोज गौड़ की गिरफ्तारी से एजेंसी की जांच और तेज हो सकती है।
इससे पहले मई 2025 में ED ने मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम कानून (PMLA) के तहत जेपी इंफ्राटेक, जेपी एसोसिएट्स और संबद्ध कंपनियों के ठिकानों पर छापेमारी की थी। दिल्ली, मुंबई और अन्य प्रमुख शहरों में 15 से अधिक ठिकानों पर कार्रवाई के दौरान महत्वपूर्ण दस्तावेज, डिजिटल उपकरण और बैंक रिकॉर्ड जब्त किए गए थे। साथ ही लगभग 1.70 करोड़ रुपये नकद भी एजेंसी के कब्जे में आए थे।