जेरूसलम। भारत इस्राइल के व्यवसायों और कंपनियों के लिए व्यापक निवेश और साझेदारी के अवसर खोल रहा है। भारत के वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को अपने इस्राइल दौरे के दौरान यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि दोनों देश विनिर्माण, उद्योग बुनियादी ढांचा, कृत्रिम बुद्धिमत्ता और अन्य आधुनिक क्षेत्रों में सहयोग को और मजबूत कर सकते हैं।

गोयल ने फिनटेक, कृषि-तकनीक, मशीन लर्निंग, क्वांटम कंप्यूटिंग, फार्मास्यूटिकल्स, अंतरिक्ष तकनीक और रक्षा क्षेत्रों में भी सहयोग की संभावनाओं पर जोर दिया। भारत-इस्राइल व्यापारिक शिखर सम्मेलन में उन्होंने कहा, “दोनों देशों के बीच संभावनाएँ असीमित हैं।”

यह पहला अवसर है जब कोई भारतीय वाणिज्य मंत्री इस्राइल के आधिकारिक दौरे पर गया है। गोयल 60 सदस्यीय व्यापारिक प्रतिनिधिमंडल के साथ इस्राइल पहुंचे हैं और दौरे के दौरान सरकारी और व्यावसायिक नेताओं के साथ द्विपक्षीय व्यापार और निवेश को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा करेंगे।

मंत्री ने कहा कि भारत निवेशकों के लिए ‘10 D’ कारकों के कारण आकर्षक है: लोकतंत्र, जनसांख्यिकीय लाभांश, डिजिटलीकरण, तेज़ी से विकास, निर्णायक नेतृत्व आदि। गोयल ने कहा कि भारत एक अनुकूल माहौल प्रदान करता है, जिससे दोनों देशों के उद्योगों के लिए नए अवसर खुलते हैं।

इस्राइल के अर्थव्यवस्था मंत्री नीर बरकत ने कहा कि भारत इस्राइल के लिए एक उत्कृष्ट साझेदार है। उन्होंने बताया कि भारत अगली बड़ी आर्थिक शक्ति है और भारतीय इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनियां इस्राइल में बड़े प्रोजेक्ट्स में बोली लगा सकती हैं।

बरकत ने भारत-मध्य पूर्व-यूरोप आर्थिक गलियारा (IMEC) को भी सहयोग बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण अवसर बताया। IMEC का उद्देश्य भारत, सऊदी अरब, अमेरिका और यूरोप को सड़क, रेल और समुद्री मार्गों के नेटवर्क से जोड़ना है, जिससे एशिया, मध्य पूर्व और पश्चिमी देशों के बीच व्यापारिक एकीकरण को बढ़ावा मिलेगा।

वाणिज्य आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 में भारत का इस्राइल को निर्यात 52% घटकर 2.14 अरब डॉलर रह गया, जबकि 2023-24 में यह 4.52 अरब डॉलर था। इसी अवधि में आयात भी 26.2% घटकर 1.48 अरब डॉलर पर आ गया। अप्रैल 2000 से जून 2025 के बीच, भारत ने इस्राइल से 337.77 मिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (FDI) प्राप्त किया है।