हीरा कारोबारी और फरार आर्थिक अपराधी मेहुल चोकसी के प्रत्यर्पण से जुड़ा मामला अब बेल्जियम की सर्वोच्च अदालत कोर्ट ऑफ कैसेशन की दहलीज पर पहुंच गया है। अधिकारियों के अनुसार, चोकसी द्वारा दायर चुनौती पर अदालत 9 दिसंबर को सुनवाई करेगी।

चोकसी ने यह अपील एंटवर्प अपीलीय न्यायालय के 17 अक्टूबर के उस आदेश के खिलाफ दाखिल की है, जिसमें भारत द्वारा भेजे गए प्रत्यर्पण अनुरोध को वैध करार देते हुए उसे बरकरार रखा गया था। उल्लेखनीय है कि यह आदेश भारत में दर्ज गंभीर वित्तीय धोखाधड़ी मामलों से जुड़े गिरफ्तारी वारंटों पर आधारित था।

एडवोकेट जनरल हेनरी वेंडरलिंडन ने बताया कि कोर्ट ऑफ कैसेशन मुख्य रूप से यह जांच करेगी कि क्या अपीलीय अदालत ने कानूनी प्रावधानों की सही व्याख्या और पालन किया है। उन्होंने स्पष्ट किया कि इस स्तर पर कोई नया साक्ष्य प्रस्तुत नहीं किया जा सकता और कार्यवाही पूरी तरह लिखित रूप में होती है।

उनके मुताबिक, यदि अदालत अपील स्वीकार नहीं करती है तो इसका आधार केवल विधिक होगा—जैसे अपीलकर्ता के पास अपील करने की वैध क्षमता न होना। पक्षकार अपने तर्क केवल अपील दाखिल करते समय ही दर्ज करा सकते हैं, और सुनवाई के दौरान वही तर्क विस्तार से रखे जा सकते हैं।

17 अक्टूबर को एंटवर्प स्थित अपीलीय अदालत ने जिला न्यायालय की ओर से जारी उन आदेशों को सही ठहराया था, जिनमें मुंबई की विशेष अदालत द्वारा 2018 और 2021 में जारी गिरफ्तारी वारंटों को लागू माना गया था। इस फैसले के बाद चोकसी के भारत प्रत्यर्पण का रास्ता साफ होता दिखाई दिया।

अदालत ने यह भी माना था कि चोकसी को भारत में निष्पक्ष सुनवाई से वंचित किए जाने का कोई जोखिम नहीं है, और न ही दुर्व्यवहार की कोई आशंका है। सीबीआई के अनुसार, पीएनबी घोटाले के कुल 13,000 करोड़ रुपये में से करीब 6,400 करोड़ रुपये की हेराफेरी के आरोप अकेले चोकसी पर हैं।

जनवरी 2018 में घोटाले के खुलासे से कुछ दिन पहले ही चोकसी एंटीगुआ और बारबुडा भाग गया था। बाद में वह इलाज के नाम पर बेल्जियम में देखा गया, जिसके बाद भारत ने 27 अगस्त 2024 को औपचारिक रूप से उसका प्रत्यर्पण अनुरोध भेजा।