मुंबई में न्यू इंडिया को-ऑपरेटिव बैंक में हुए 122 करोड़ रुपए के घोटाले में अब एक नया मोड़ आ गया है. मुंबई पुलिस आरोपी हितेश मेहता का लाइे डिटेक्टर टेस्ट (Polygraph Test) कराने की योजना बना रही है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार हितेश मेहता 122 करोड़ के गबन को लेकर लगातार झूठ बोल रहा है. पुलिस ने हितेश मेहता से पैसों के लेन-देन, खर्च और व्याज को लेकर कई सवालों का जवाब जानना चाहती है.

पुलिस ने मेहता से अब तक कई बार पूछताछ कर चुकी है, लेकिन वो सही जवाब नहीं दे पा रहा है.बैंक के 122 करोड़ किस किस को दिए,कहां खर्च किये,कहां जमा किए,कितना इन पैसों से ब्याज कमाया,कितनी बेनामी संपत्ति बनाई इसकी ठीकठाक जानकारी हितेश मेहता नहीं दे रहे है. अब तक कई बार बयान भी बदल चुका है. इसके बाद EOW ने कोर्ट से लाई डिटेक्टर टेस्ट यानी पोलोग्राफी टेस्ट कराने की मांग की है.

बिल्डर धर्मेश पौन से भी हो रही पूछताछ

आर्थिक अपराध शाखा ने बैंक के पूर्व जनरल मैनेजर और चीफ एकाउंट्स हेड हितेश मेहता के साथ-साथ इसी केस में गिरफ्तार दूसरे आरोपी बिल्डर धर्मेश पौन से भी लगातार पूछताछ कर रही है. हितेश मेहता पर आरोप है कि उन्होंने बैंक की प्रभादेवी शाखा से 112 करोड़ रुपए और गोरेगांव शाखा से 10 करोड़ रुपए की हेराफेरी की.

जांच में यह भी सामने आया है कि मेहता ने गबन की गई राशि में से 70 करोड़ रुपए बिल्डर धर्मेश पौन को और 40 करोड़ रुपए इलेक्ट्रिकल कॉन्ट्रैक्टर उन्नाथन अरुणाचलम उर्फ अरुणभाई को दिए थे. धर्मेश पौन को भी गिरफ्तार किया जा चुका है, जबकि इस केस का तीसरा संदिग्ध अरुणभाई अभी फरार हैं.

जांच में सहयोग नहीं कर रहे

ईओडब्ल्यू के अधिकारियों का कहना है कि हितेश मेहता जांच में सहयोग नहीं कर रहे हैं, जिससे ईओडब्ल्यू ने अदालत से उनकी लाई डिटेक्टर टेस्ट कराने की अनुमति मांगी है. इस टेस्ट का उद्देश्य गबन की गई राशि और इस केस में संलिप्त अन्य व्यक्तियों के बारे में सटीक जानकारी प्राप्त करना है.