टाटा ट्रस्ट्स के चेयरमैन नोएल टाटा और टाटा संस के अध्यक्ष एन चंद्रशेखरन ने मंगलवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से मुलाकात की। यह बैठक उस समय हुई जब ट्रस्टियों के बीच बोर्ड में नियुक्तियों और संचालन से जुड़ी खींचतान की खबरें सुर्खियों में थीं।

नोएल टाटा और एन चंद्रशेखरन के साथ बैठक में टाटा ट्रस्ट के उपाध्यक्ष वेणु श्रीनिवासन और ट्रस्टी डेरियस खंबाटा भी मौजूद थे। सूत्रों के अनुसार बैठक में ट्रस्ट के बोर्ड और प्रशासनिक मामलों पर चर्चा हुई, जो समूह की कार्यप्रणाली और रणनीति को प्रभावित कर सकती है।

टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस में लगभग 66% हिस्सेदारी रखता है और यह भारत के सबसे बड़े कॉरपोरेट समूह की दिशा और संचालन पर निर्णायक प्रभाव डालता है। ट्रस्टियों में दो मुख्य समूह हैं – एक का नेतृत्व नोएल टाटा कर रहे हैं और दूसरा मेहली मिस्त्री की अगुवाई में है, जिनका संबंध शापूरजी पलोनजी परिवार से है।

माना जा रहा है कि विवाद का मुख्य कारण टाटा संस के बोर्ड की सीटों का वितरण है। समूह के भीतर 30 लिस्टेड कंपनियों सहित लगभग 400 कंपनियां हैं, और इन पर ट्रस्टियों के बीच कलह का असर सीधे टाटा संस के कामकाज पर पड़ सकता है।

टाटा ट्रस्ट्स, टाटा संस और वेणु श्रीनिवासन ने इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है। मेहली मिस्त्री की ओर से भी फिलहाल कोई बयान नहीं आया है। एक सूत्र ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में टाटा समूह की अहमियत को देखते हुए सरकार के सामने यह चुनौती है कि क्या किसी एक पक्ष को इसका नियंत्रण सौंपा जा सकता है।