किसानों एवं खेती से जुड़े सरोकारों व मुद्दों को बेबाकी से उठाने वाले पीजेन्ट वेलफेयर एसोसिएशन के चेयरमैन श्री अशोक बालियान से 28 अगस्त 2023 को हुई वार्ता के दौरान ज्ञात हुआ कि वे और डॉ. राजेन्द्र सिंह (प्रगति प्रेस वाले) भारतीय इतिहास की धरोहर मुजफ्फरनगर के ग्राम सोरम स्थित सर्वखाप पंचायत से संबंधित तथ्यों, रिकार्डों, दस्तावेजों व अन्य साक्ष्यों का संकलन कर रहे हैं। श्री बालियान ने यह भी बताया कि वे ग्राम बरवाला के उन धर्मान्तरित हुए मुस्लिम परिवारों की जानकारी जुटा रहे हैं, जिनके पुरखे हिन्दू धर्मावलंबी जाट थे और मुस्लिम शासन काल में हिन्दू धर्म त्याग कर मुसलमान बन गए थे। मैंने श्री बालियान को बताया कि मैं बरवाला के प्रतिष्ठित चौधरी भंवर सिंह जी से किशोर अवस्था में मिला था। उनके पुत्र राजेन्द्र सिंह (ब्लॉक प्रमुख) से भी जानकारी थी। चौ. भंवर सिंह का परिवार 'महलवालों' के नाम से मशहूर था। यह एक सुखद बात है कि श्री अशोक बालियान जी और डॉ. राजेन्द्र सिंह अति महत्त्व के कार्य में जुटे हैं।

सर्वखाप पंचायत सोरस का जिक्र आने पर मैंने श्री बालियान को बताया कि पंचायत के तत्कालीन प्रधान चौ. कबूल सिंह का 'देहात' के संपादक पिताश्री चौ. राजरुप सिंह वर्मा से निकट संबंध था। लगभग 35 वर्षों पूर्व चौ. कबूल सिंह कार्यालय 'देहात' पधारे और सोरम पंचायत के विषय में विस्तार से बताया। वे एक कपड़े की पोटली लिये हुए थे जिसमें से निकाल निकालकर कुछ अति पुराने बादशाही काल के जीर्णशीर्ण दस्तावेज दिखाये। सर्वखाप पंचायत के इतिहास के संबंध में अंग्रेजी भाषा की एक पुस्तक भी दिखाई जो किसी बंगाली लेखक की लिखी हुई थी। चौ. कबूल सिंह ने सोरम पंचायत से जोड़ने के उद्देश्य से जार्ज पंचम की मुद्रा वाला एक चांदी का सिक्का भी मुझे भेंट किया।

सर्वखाप पंचायत के इतिहास का उल्लेख होने पर मुझे आर्यजगत के प्रकांड विद्वान, वेदों के पारंगत ज्ञाता और निःस्वार्थी समाजसेवक तथा कुशल संगठक पं. जगदेव सिंह सिद्धान्ती जी का स्मरण हो आया। मुजफ्फरनगर के जाट कॉलेज (अब चौ. छोटू राम कॉलेज) में अध्यापक स्व. रामपाल सिंह शास्त्री 'कुश' के निवास स्थान पर दर्शनव आशीर्वाद का सौभाग्य प्राप्त हुआ। वेदों एवं संस्कृत का प्रकांड विद्वान होने के कारण उन्हें अहलावत जाट होने पर भी पंडित की उपाधि से नवाजा गया। सन् 1950 में सोरम में हुई महापंचायत की अध्यक्षता सिद्धान्ती जी ने की थी। उन्होंने सर्वखाप पंचायत के एतिहासिक तथ्यों का विद्धतापूर्वक विश्लेषण करते हुए पुस्तक भी लिखी थी। पंडित जगदेव सिंह सिद्धान्ती पहाड़ी धीरज दिल्ली से 'सम्राट' नामक साप्ताहिक समाचार पत्र छापते थे जिसके संपादक श्री रघुवीर सिंह शास्त्री थे। इस अखबार का वार्षिक शुल्क 8 रुपये था जो नियमित रूप से हमारे यहां आता था। समाचारपत्र का एक-एक शब्द राष्ट्रहित से ओत प्रोत होता था। सन् 1962 में सिद्धान्ती जी झज्जर से लोकसभा सदस्य निर्वाचित हुए। स्वामी रामेश्वरा नन्द और प्रकाशवीर शास्त्री की भांति पं. जगदेव सिंह सिद्धान्ती जी भी ओजस्वी वक्ता थे। 27 अगस्त 1979 को उनका दिल्ली में निधन हुआ। इस संक्षिप्त लेख में उनके महान् व्यक्तित्व व विषद सामाजिक कार्यों का उल्लेख नहीं हो सकता। 'ईश्वर' ने अवसर दिया तो कभी विस्तार से लिखेंगे। सिद्धान्ती जी की स्मृति में शत्-शत् नमन्।

गोविन्द वर्मा
संपादक 'देहात'