नई दिल्ली: बांग्लादेश की अंतरिम सरकार, जिसका नेतृत्व नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस कर रहे हैं, ने भारत सरकार को आधिकारिक पत्र भेजकर अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके तत्कालीन गृह मंत्री असदुज्जमां खान कमाल के प्रत्यर्पण की मांग की है। यह कदम बांग्लादेश के अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायाधिकरण (आईसीटी-बीडी) द्वारा हसीना और कमाल को मानवता के खिलाफ अपराध के आरोप में मृत्युदंड दिए जाने के बाद उठाया गया है।
सरकारी समाचार एजेंसी बीएसएस के अनुसार, विदेश मामलों के सलाहकार तौहीद हुसैन ने बताया कि यह पत्र शुक्रवार को नई दिल्ली को भेजा गया था। आईसीटी ने 17 नवंबर को हसीना और कमाल को मृत्युदंड और तीसरे आरोपी, पूर्व पुलिस प्रमुख चौधरी अब्दुल्ला अल मामून को पांच साल की जेल की सजा सुनाई थी। कोर्ट में अल मामून ने खुद को सरकारी गवाह बनाने का अनुरोध किया था, जिसकी गवाही के आधार पर हसीना को सजा दी गई।
यह मामला उस हिंसक प्रदर्शन से जुड़ा है जो 5 अगस्त, पिछले वर्ष, छात्रों के नेतृत्व में हुआ था। इन विरोध प्रदर्शनों के चलते हसीना की अवामी लीग सरकार गिर गई थी और इसे 'जुलाई विद्रोह' के नाम से जाना गया। इसके बाद मोहम्मद यूनुस अंतरिम सरकार के मुख्य सलाहकार बने।
इससे पहले दिसंबर में भी बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने हसीना के प्रत्यर्पण के लिए एक राजनयिक नोट भारत को भेजा था, जिसे भारत ने केवल प्राप्ति की पुष्टि की थी। आईसीटी-बीडी के फैसले के बाद भारत के विदेश मंत्रालय ने बयान जारी करते हुए कहा कि भारत, एक करीबी पड़ोसी होने के नाते, बांग्लादेश की शांति, लोकतंत्र और स्थिरता के हितों के लिए प्रतिबद्ध है और सभी हितधारकों के साथ रचनात्मक संवाद बनाए रखेगा।
अंतरिम सरकार के विधि सलाहकार आसिफ नजरूल ने बताया कि नई दिल्ली को भेजे जाने वाले इस पत्र में हसीना और कमाल की वापसी की सिफारिश की गई है। उन्होंने यह भी संकेत दिया कि सरकार अंतरराष्ट्रीय आपराधिक न्यायालय के माध्यम से भी उन्हें वापस लाने पर विचार कर रही है, क्योंकि आईसीटी-बीडी के फैसले के बाद वे भगोड़े अपराधी बन चुके हैं।