भारत-चीन रिश्तों को दीर्घकालिक दृष्टि से देखने की जरूरत: जिनपिंग

तियानजिन। चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान कहा कि दोनों देशों को अपने संबंधों को व्यापक रणनीतिक दृष्टि और दीर्घकालिक नजरिए से आगे बढ़ाना चाहिए। यह बैठक शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) के वार्षिक शिखर सम्मेलन से इतर आयोजित हुई।

बहुपक्षवाद पर जोर, ट्रंप की नीतियों पर इशारा
शी जिनपिंग ने कहा कि भारत और चीन को अपने रिश्तों को स्थिर और सतत विकास की दिशा में ले जाना होगा। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की एकतरफा नीतियों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि दोनों देशों को बहुपक्षीय व्यवस्था को सुदृढ़ करना चाहिए। साथ ही उन्होंने बहुध्रुवीय विश्व और अंतरराष्ट्रीय संबंधों में अधिक लोकतांत्रिक संतुलन की आवश्यकता पर भी बल दिया।

दो प्राचीन सभ्यताओं का दायित्व
मोदी के साथ वार्ता के दौरान शी ने कहा कि भारत और चीन न केवल एशिया की बल्कि विश्व की दो प्राचीन सभ्यताएं हैं। दोनों देश विश्व की सबसे बड़ी आबादी वाले राष्ट्रों में शामिल हैं और ग्लोबल साउथ की आवाज़ को मजबूत करने की जिम्मेदारी निभाते हैं। उन्होंने कहा कि यह समय की मांग है कि भारत और चीन अच्छे पड़ोसी और सहयोगी मित्र बनें, ताकि “ड्रैगन और हाथी” मिलकर वैश्विक विकास और मानव समाज की प्रगति में योगदान दे सकें।

ऐतिहासिक वर्षगांठ पर रिश्तों को नई ऊंचाई देने की अपील
शी ने कहा कि वर्तमान अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य अस्थिरता और उथल-पुथल से गुजर रहा है। ऐसे समय में, जब भारत-चीन राजनयिक संबंधों के 75 वर्ष पूरे हो रहे हैं, दोनों देशों को साझेदारी को रणनीतिक ऊंचाई तक ले जाने और दीर्घकालिक दृष्टिकोण अपनाने की जरूरत है। उन्होंने एशिया और विश्व में शांति व समृद्धि सुनिश्चित करने के लिए साझा जिम्मेदारी निभाने पर भी जोर दिया।

दस महीनों बाद मुलाकात
प्रधानमंत्री मोदी और शी जिनपिंग की यह बैठक लगभग दस महीनों बाद हुई। भारत और अमेरिका के बीच व्यापार व शुल्क नीति पर हालिया तनाव को देखते हुए यह मुलाकात विशेष महत्व रखती है।

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