माइग्रेन और साइटिका दोनों ही ऐसी बीमारियां हैं जो मरीज को अत्यधिक दर्द और परेशानियों का सामना कराती हैं। माइग्रेन में सिर के एक ओर तेज, धड़कता दर्द होता है, जो 4 से 72 घंटे तक लगातार जारी रह सकता है। वहीं, साइटिका में कूल्हे से लेकर एड़ी तक लगातार दर्द महसूस होता है, जो बहुत तेज और असहनीय हो सकता है। हालांकि, आयुर्वेद में ऐसे कई उपाय हैं जो इन दोनों समस्याओं का इलाज कर सकते हैं या कम से कम इनसे राहत दिला सकते हैं।
माइग्रेन और साइटिका दोनों ही दर्दनाक स्थितियां हैं। माइग्रेन में सिर के एक हिस्से में तीव्र दर्द होता है, जबकि साइटिका में कूल्हे से लेकर एड़ी तक पीठ के निचले हिस्से में दर्द महसूस होता है। यह दर्द इतना तीव्र हो सकता है कि मरीज को सामान्य गतिविधियां करना भी कठिन हो जाता है। दर्द को कम करने के लिए पेन किलर और फिजियोथेरेपी का इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह उपाय भी प्रभावी नहीं होते।
आयुर्वेद में उपचार
आयुर्वेदिक डॉक्टर डॉ. अशोक राना के अनुसार, माइग्रेन के कई कारण हो सकते हैं, जिनकी पहचान कर उचित उपचार किया जाता है। इसमें वातज, पित्तज और कफज के अनुसार इलाज किया जाता है। वहीं, साइटिका के दर्द से राहत पाने के लिए अजवाइन, हरसिंगार, केसर, सेंधा नमक, हल्दी और मेथी जैसे प्राकृतिक उपाय प्रभावी होते हैं। सेंधा नमक को गरम पानी में डालकर सिकाई करने से दर्द में राहत मिलती है। अजवाइन और हल्दी में एंटी-इंफ्लेमेट्री गुण होते हैं, जो सूजन और दर्द को कम करते हैं। हरसिंगार को केसर के साथ और मेथी को सुबह खाली पेट लिया जाता है।
क्या करें?
अगर आप माइग्रेन या साइटिका के दर्द से जूझ रहे हैं और इलाज से राहत नहीं मिल रही है, तो आप आयुर्वेदिक नुस्खों का सहारा ले सकते हैं। हालांकि, इन नुस्खों को अपनाने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर से सलाह लेना अधिक फायदेमंद हो सकता है। आयुर्वेद के अनुसार, शरीर में वात, पित्त और कफ की असंतुलन से ही रोग उत्पन्न होते हैं। इन तीनों तत्वों को संतुलित करके बीमारी का इलाज किया जा सकता है। यह उपचार अनुभवी आयुर्वेदिक डॉक्टर की देखरेख में ही सबसे प्रभावी होता है।