उत्तरी भारत के कई शहर लगातार बढ़ते प्रदूषण से जूझ रहे हैं और खराब होती वायु गुणवत्ता का सबसे अधिक असर बच्चों पर पड़ रहा है। स्थिति को देखते हुए कुछ राज्यों ने आठवीं तक के स्कूलों को हाइब्रिड मोड में चलाने के निर्देश दिए थे, लेकिन इसके बावजूद कई जिलों में अब भी नियमित कक्षाएँ संचालित की जा रही हैं। इसी मुद्दे पर लखनऊ की सरोजनीनगर विधानसभा सीट से विधायक और पूर्व IAS अधिकारी राजेश्वर सिंह ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को सुझाव और मांगों से जुड़ा पत्र भेजा है। उन्होंने बढ़ते प्रदूषण के दौरान स्कूलों को बंद करने और ऑनलाइन शिक्षा को एक स्थायी विकल्प के रूप में लागू करने के लिए स्पष्ट नीति बनाने की आवश्यकता बताई है।
AQI 300 के पार होते ही बंद हों स्कूल: विधायक की मांग
अपने पत्र में राजेश्वर सिंह ने कहा है कि वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 300 से अधिक होते ही स्कूलों को तुरंत बंद किया जाए और ऑनलाइन कक्षाएँ शुरू करने का प्रावधान हो। उन्होंने इसे ‘स्वच्छ-वायु शिक्षा नीति’ का नाम देते हुए अधिकारियों की जवाबदेही तय करने की भी बात कही है, ताकि निर्देशों का पालन अनिवार्य रूप से हो सके।
एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग और डिजिटल क्लासेज़ पर जोर
विधायक ने जिलों में AQI की लगातार निगरानी के लिए डैशबोर्ड स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है, जिसके आधार पर स्कूलों के खोलने या बंद करने जैसे निर्णय लिए जा सकें। उन्होंने शिक्षा विभाग से यह भी आग्रह किया कि बढ़ते प्रदूषण के दिनों में डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से पढ़ाई बाधित न होने दी जाए।
पूर्व IAS अधिकारी से विधायक बने राजेश्वर सिंह ने सुझाव दिया है कि ऑनलाइन शिक्षा से जुड़ी नीतियाँ दिसंबर–जनवरी से पहले लागू कर दी जाएँ, ताकि शीतकालीन प्रदूषण की स्थिति में बच्चों को स्वास्थ्य जोखिम में न डालना पड़े। इसके साथ ही शिक्षा, स्वास्थ्य, पर्यावरण और आईटी विभागों के बीच बेहतर समन्वय स्थापित करने की जरूरत भी उन्होंने रेखांकित की।
NCR में तत्काल निर्देश जारी करने की मांग
विधायक ने पत्र में NCR के सभी जिलाधिकारियों को तुरंत दिशा-निर्देश जारी करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया है। उनका कहना है कि नोएडा, गाजियाबाद, मेरठ, हापुड़, बुलंदशहर, बागपत, शामली समेत कई शहरों में AQI बेहद खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है, जो बच्चों के फेफड़ों, प्रतिरोधक क्षमता और मानसिक स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है।
राजेश्वर सिंह ने सरकार से आग्रह किया है कि बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए स्वच्छ-वायु शिक्षा नीति को जल्द लागू किया जाए, ताकि प्रदूषण के चरम दौर में भी उनकी पढ़ाई और स्वास्थ्य, दोनों सुरक्षित रह सकें।