सर्दियों का मौसम स्वास्थ्य के लिए कई तरह की चुनौतियां लेकर आता है। विशेषज्ञों के अनुसार यह समय विशेष रूप से बच्चों और बुजुर्गों के लिए जोखिम भरा होता है, क्योंकि गिरता तापमान और बढ़ती नमी से वायरस और बैक्टीरिया तेजी से सक्रिय हो जाते हैं। यही कारण है कि इस मौसम में निमोनिया जैसी फेफड़ों की गंभीर बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ जाता है।
निमोनिया फेफड़ों में संक्रमण का एक गंभीर रूप है, जिसे वायरस, बैक्टीरिया या फंगस किसी भी कारण से हो सकता है। इसके लक्षणों में तेज बुखार, लगातार खांसी, सांस लेने में तकलीफ और सीने में दर्द शामिल हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञ बताते हैं कि बुजुर्ग और पहले से श्वसन रोगों से पीड़ित लोग इस बीमारी के लिए सबसे अधिक संवेदनशील हैं।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) की रिपोर्ट के अनुसार, दुनियाभर में हर साल पांच साल से कम उम्र के लगभग 7 लाख बच्चों की मौत निमोनिया के कारण होती है। विशेषज्ञ माता-पिता को बच्चों को इस समय संक्रमण से बचाने के उपाय अपनाने की सलाह देते हैं।
श्वसन रोग विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
अमर उजाला से बातचीत में श्वसन रोग विशेषज्ञ डॉ. एन.आर. चौहान ने बताया कि ठंड के कारण सीधे तौर पर निमोनिया नहीं होता, लेकिन यह मौसम ऐसे हालात पैदा करता है जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। सर्दी में हवा का सूखापन श्वसन नली और फेफड़ों को प्रभावित करता है और संक्रमण की संभावना बढ़ाता है।
डॉ. चौहान ने बताया कि घर के अंदर रहने और संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से बच्चों और बुजुर्गों में संक्रमण फैलने का खतरा अधिक रहता है। डायबिटीज, सीओपीडी और अस्थमा जैसी स्थितियों वाले लोग भी इस बीमारी से प्रभावित होने के ज्यादा जोखिम में हैं।
निमोनिया से बचाव के उपाय
विशेषज्ञों के अनुसार, टीकाकरण निमोनिया से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है। न्यूमोकोकल और इन्फ्लूएंजा वैक्सीन समय पर लगवाने से संक्रमण की गंभीरता कम की जा सकती है। जन्म के बाद निर्धारित सभी वैक्सीन समय पर लगवाना बच्चों की सुरक्षा का सबसे मजबूत तरीका माना जाता है।
छोटे बच्चों को ठंड से बचाना जरूरी है। उन्हें गर्म कपड़े पहनाना, हाथ बार-बार धोना, खिलौने साफ रखना और संक्रमित लोगों से दूरी बनाए रखना संक्रमण से बचाव में मदद करता है।
साफ-सफाई और पोषण भी जरूरी
हाथों की साफ-सफाई, मास्क पहनना और फ्लू वाले लोगों के संपर्क से बचना संक्रमण का खतरा कम करता है। नवजात बच्चों को छह महीने तक मां का दूध देना प्रतिरक्षा मजबूत करता है। बड़े बच्चों को विटामिन सी, विटामिन डी और जिंक युक्त आहार देना फेफड़ों की मजबूती बढ़ाता है।
यदि किसी को लगातार खांसी, बुखार, बलगम या सांस लेने में तकलीफ हो रही है, या सीने में दर्द बना हुआ है, तो तुरंत डॉक्टरी सलाह लेना जरूरी है।