नई दिल्ली: भारत ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) में अफगानिस्तान की स्थिरता और विकास के लिए तालिबान के साथ व्यावहारिक संवाद की आवश्यकता पर जोर दिया है। भारत ने कहा कि केवल दंडात्मक उपायों पर ध्यान केंद्रित करने से अफगानिस्तान की स्थिति पहले जैसी बनी रहेगी और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को ऐसे कदम उठाने चाहिए जो अफगान लोगों को स्थायी लाभ प्रदान करें।
संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि पी. हरीश ने कहा कि नीति का उद्देश्य सकारात्मक कदमों को प्रोत्साहित करना होना चाहिए। उन्होंने भारत की प्रतिबद्धता दोहराई कि वह अफगान जनता की विकास और मानवीय जरूरतों को पूरा करने में लगातार योगदान देता रहेगा। हरीश ने काबुल में दिल्ली के तकनीकी मिशन को दूतावास का दर्जा दिए जाने को इस प्रतिबद्धता का प्रतीक बताया।
अफगानिस्तान के विदेश मंत्री आमिर खान मुत्ताकी ने अक्टूबर में छह दिवसीय दौरे पर भारत का दौरा किया था। यह दौरा तालिबान के सत्ता में आने के बाद भारत आने वाले पहले वरिष्ठ मंत्री का था। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने उनसे मुलाकात की और काबुल में तकनीकी मिशन को दूतावास में अपग्रेड करने तथा विकास कार्यों को फिर से शुरू करने की घोषणा की।
हरीश ने कहा कि भारत अफगानिस्तान में सुरक्षा स्थिति पर लगातार नजर रख रहा है और अंतरराष्ट्रीय समुदाय को आतंकवादी संगठनों और उनके सहयोगियों के खिलाफ संयुक्त प्रयास करने की सलाह दी। उन्होंने पाकिस्तान की ओर इशारा करते हुए आईएसआईएल, अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद जैसी संस्थाओं का नाम लिया।
भारत ने अफगानिस्तान में हवाई हमलों और निर्दोष नागरिकों के हताहत होने की निंदा की और कहा कि व्यापार और पारगमन पर रोक के चलते अफगानिस्तान को कठिन परिस्थितियों में रखा जा रहा है। हरीश ने दोहराया कि भारत अफगानिस्तान की क्षेत्रीय अखंडता, संप्रभुता और स्वतंत्रता का दृढ़ समर्थन करता है।