नई दिल्ली। एशिया में अपनी प्रभावशाली स्थिति को और मजबूत करता भारत अब सैन्य, आर्थिक, कूटनीतिक और सांस्कृतिक क्षेत्र में लगातार तरक्की कर रहा है। खासतौर पर ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारत की छवि मजबूती के साथ उभरी है।

ऑस्ट्रेलिया के प्रतिष्ठित थिंक टैंक 'लोवी इंस्टीट्यूट' ने जारी 'एशिया पावर इंडेक्स 2025' में भारत को एशिया की तीसरी सबसे बड़ी ताकत के रूप में रैंक किया है। इस सूची में भारत ने जापान, रूस, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण कोरिया जैसे देशों को पीछे छोड़ दिया है।

रिपोर्ट के अनुसार अमेरिका, एशिया का हिस्सा न होने के बावजूद अपने प्रभाव के कारण पहले स्थान पर है, जबकि चीन दूसरे स्थान पर है। भारत ने 40 अंकों के साथ तीसरा स्थान हासिल किया है और इसका कुल प्रभाव पिछले वर्ष की तुलना में दो प्रतिशत बढ़ा है। यह प्रगति कोविड-19 के बाद भारत की तेज आर्थिक रिकवरी और बढ़ते भू-राजनीतिक प्रभाव का परिणाम मानी जा रही है।

लोवी रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत की सैन्य क्षमता में निरंतर सुधार हुआ है और आर्थिक, तकनीकी तथा अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी के क्षेत्र में भी वृद्धि दर्ज की गई है। अमेरिका ने 81.7 अंक लेकर शीर्ष स्थान बनाए रखा है, जबकि चीन 73.7 अंक के साथ दूसरे स्थान पर है।

रैंकिंग 27 एशियाई देशों के प्रदर्शन के आधार पर तैयार की गई है और इसमें सात प्रमुख मानकों—सैन्य क्षमता, रक्षा नेटवर्क, आर्थिक शक्ति, आर्थिक संबंध, कूटनीतिक एवं सांस्कृतिक प्रभाव, दृढ़ता और भविष्य के संसाधन—को मापा गया। इस इंडेक्स के अनुसार, 40 या उससे अधिक अंक पाने वाला देश 'मेज़र पावर' कहलाता है।

सूची में पाकिस्तान 16वें स्थान पर है और बांग्लादेश 20वें, श्रीलंका 21वें, म्यांमार 23वें और नेपाल 25वें स्थान पर हैं। रिपोर्ट में यह भी उल्लेख है कि रूस की प्रभाव क्षमता 2019 के बाद पहली बार बढ़ी है, जबकि जापान की स्थिति स्थिर रही और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों ने हल्की सुधारात्मक प्रगति की है।