पश्चिम बंगाल के पूर्व शिक्षा मंत्री पार्थ चटर्जी को कथित स्कूल भर्ती घोटाले के मामले में मंगलवार को जमानत मिल गई। उन्हें प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने 23 जुलाई 2022 को गिरफ्तार किया था। इसके बाद केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने भी उन्हें राज्य में 2016 की एसएससी भर्ती प्रक्रिया में कथित अनियमितताओं के कई मामलों में गिरफ्तार किया। ये मामले कक्षा 9-10 और 11-12 के शिक्षकों तथा ग्रुप C और D के गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्तियों से संबंधित हैं।
पार्थ चटर्जी पिछले 203 दिन दक्षिण-पूर्व कोलकाता के मुकुंदपुर स्थित एक निजी अस्पताल में भर्ती थे। उन्हें किडनी और हृदय से जुड़ी स्वास्थ्य समस्याएं थीं। जमानत बांड जमा होने के बाद उन्हें न्यायिक हिरासत से रिहा कर दिया गया।
उनकी रिहाई सोमवार को उस समय हुई जब विशेष सीबीआई अदालत में गवाहों की गवाही पूरी हो गई। अदालत ने जमानत याचिका स्वीकार कर अलीपुर कोर्ट को आदेश भेजा, जिसके बाद प्रेसिडेंसी जेल प्रशासन ने रिहाई आदेश जारी किया। अस्पताल से छुट्टी मिलने के बाद पार्थ चटर्जी दोपहर करीब दो बजे अस्पताल से बाहर निकले। इस दौरान बड़ी संख्या में उनके समर्थक ‘पार्थ दा जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। वह बिना बोले हाथ जोड़कर कार की फ्रंट सीट पर बैठे नजर आए।
पार्थ चटर्जी को पहले भी ईडी के मामलों में जमानत मिल चुकी है। सुप्रीम कोर्ट ने 18 अगस्त को आदेश दिया था कि ग्रुप C भर्ती मामले में गवाहों की गवाही पूरी होने पर उन्हें जमानत दी जा सकती है। इसके बाद 26 सितंबर को कलकत्ता हाईकोर्ट की एकल पीठ ने भी उन्हें सशर्त जमानत दी। शर्तों के तहत उन्हें जांच और मुकदमे की प्रक्रिया पूरी होने तक किसी सार्वजनिक पद पर कार्य नहीं करने की अनुमति है, हालांकि वह विधायक पद बनाए रख सकते हैं।