तृणमूल कांग्रेस की सांसद महुआ मोइत्रा के एक सोशल मीडिया पोस्ट ने बुधवार को सियासी बहस को नई दिशा दे दी। महुआ ने बांग्लादेश के पूर्व चुनाव आयुक्त की गिरफ्तारी की एक पुरानी तस्वीर साझा करते हुए भारत की चुनावी प्रक्रिया पर कटाक्ष किया। इस टिप्पणी ने तुरंत ही विवाद खड़ा कर दिया। भाजपा ने महुआ पर देश की संस्थाओं को बदनाम करने का आरोप लगाया, जबकि विपक्ष ने चुनाव आयोग पर अपने आरोप दोहराए। उनके पोस्ट के बाद राजनीतिक हलकों में कई तीखी प्रतिक्रियाएँ सामने आईं।

महुआ ने यह तस्वीर साझा करते हुए इशारा किया कि भविष्य में भारत में भी ऐसी स्थिति देखने को मिल सकती है। उनका संकेत विपक्ष द्वारा लगाए जा रहे उन आरोपों की ओर था, जिनमें कहा जा रहा है कि चुनाव आयोग कथित रूप से भाजपा के साथ मिलकर चुनाव प्रक्रिया को प्रभावित कर रहा है। भाजपा ने इसे ‘‘राष्ट्र का अपमान’’ बताते हुए कहा कि भारत जैसे लोकतांत्रिक देश की तुलना बांग्लादेश के हालात से करना ‘‘गैर-जिम्मेदाराना और दुर्भावनापूर्ण’’ है।

भाजपा का पलटवार

भाजपा प्रवक्ता शहजाद पूनावाला ने महुआ पर तीखी टिप्पणी करते हुए कहा कि सांसद होने के बावजूद वह “देशहित के खिलाफ” बयान दे रही हैं। उन्होंने दावा किया कि विपक्ष चुनाव में संभावित हार की आशंका से संस्थाओं की विश्वसनीयता पर सवाल उठाने की रणनीति अपना रहा है। भाजपा नेताओं ने याद दिलाया कि पहले भी कई विपक्षी नेता भारत की लोकतांत्रिक व्यवस्था की तुलना पड़ोसी देशों से कर चुके हैं और महुआ का बयान उसी क्रम का हिस्सा है।

विपक्ष का रुख और राहुल गांधी की नाराज़गी

इसी विवाद के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग द्वारा चलाए जा रहे विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण (एसआईआर) अभियान पर सवाल खड़े किए। एआईसीसी पदाधिकारियों से बातचीत में राहुल ने कहा कि इस प्रक्रिया को राजनीतिक व कानूनी स्तर पर चुनौती दी जानी चाहिए। उनका आरोप था कि चुनाव आयोग अपने दायित्वों का बोझ राजनीतिक दलों पर डाल रहा है और एसआईआर की पद्धति से वैध मतदाताओं के नाम हटने का जोखिम बढ़ जाता है। कांग्रेस के कुछ नेताओं ने इसे “लोकतंत्र को कमजोर करने की साजिश” तक बताया।

चुनाव आयोग का स्पष्टीकरण

चुनाव आयोग ने अपनी ओर से बताया कि एसआईआर अभियान के तहत पहले चरण में 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 50.25 करोड़ एन्यूमरेशन फॉर्म बांटे जा चुके हैं, जो कुल पात्र मतदाताओं के 98.54 प्रतिशत के बराबर है। इस चरण में छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, पुडुचेरी, अंडमान-निकोबार और लक्षद्वीप शामिल हैं। इनमें से चार प्रदेश—तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल—साल 2026 में चुनावी प्रक्रिया में प्रवेश करेंगे। अभियान का दूसरा चरण 4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच चलाया जाएगा।