नई दिल्ली/गांदरबल। लाल किले के पास हुए धमाके में गंभीर रूप से घायल हुए जम्मू-कश्मीर के मजदूर बिलाल अहमद सांगो की उपचार के दौरान मौत हो गई। 30 वर्षीय बिलाल दिल्ली में रोज़गार की तलाश में काम कर रहे थे। हादसे के बाद उन्हें राजधानी के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां सोमवार देर रात उन्होंने अंतिम सांस ली। बुधवार को उनका पार्थिव शरीर कंगन स्थित अपने गांव लाया गया, जहां हजारों लोगों ने नम आंखों से उन्हें विदाई दी।
गम में डूबा गांव, सैकड़ों की भीड़ ने दी अंतिम विदाई
गांव पहुंचते ही माहौल शोक में डूब गया। महिलाएँ, पुरुष, बच्चे और बुजुर्ग—हर कोई बिलाल को खोने के दर्द से टूटता हुआ दिखाई दिया। बचपन से उनके साथ समय बिताने वाले पड़ोसियों की आंखों से आंसू थम नहीं रहे थे। बिलाल को गांव के पैतृक कब्रिस्तान में सुपुर्द-ए-खाक किया गया। अंतिम यात्रा में कंगन के विधायक मियां मेहर अली भी शामिल हुए और परिवार को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
परिवार का सहारा छिन गया
परिजनों के मुताबिक, बिलाल परिवार में अकेले कमाने वाले थे। रोज़गार की तलाश में वह 2019 में दिल्ली गए थे और अलग-अलग जगह मजदूरी कर परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे। अब उनकी मौत के बाद घर का आर्थिक बोझ और बढ़ गया है। परिजन और रिश्तेदार प्रशासन से आर्थिक सहायता और मुआवज़े की मांग कर रहे हैं।
सरकार से मदद की उम्मीद
एमएलए मेहर अली ने कहा कि प्रदेश सरकार और प्रशासन परिवार के साथ खड़ा है। उन्होंने भरोसा दिलाया कि इस कठिन घड़ी में राज्य की ओर से हर संभव सहयोग दिया जाएगा। उन्होंने दोहराया कि मुख्यमंत्री पहले ही यह स्पष्ट कर चुके हैं कि किसी भी कश्मीरी को अविश्वास की नजर से नहीं देखा जाएगा।