बिहार विधानसभा चुनाव के परिणामों के बाद सोशल मीडिया पर छिड़ी ‘1.22 लाख वोट’ वाली चर्चा को लेकर चुनाव आयोग ने स्पष्ट प्रतिक्रिया दी है। बीते कुछ दिनों से अनेक यूजर्स और राजनीतिक नेताओं द्वारा यह दावा किया जा रहा था कि कई प्रमुख भाजपा उम्मीदवारों को लगभग एक जैसे करीब 1.22 लाख वोट मिले, जिसे लेकर ईवीएम से छेड़छाड़ और वोट पैटर्न की आशंकाएँ उठाई गईं। बढ़ते विवाद को देखते हुए आयोग ने बुधवार को विस्तृत आंकड़े जारी कर इन दावों को आधारहीन बताया।

कई रेंज में मिले वोट, आयोग ने दिए तथ्य

चुनाव आयोग द्वारा प्रस्तुत आंकड़ों के मुताबिक 243 सीटों वाले बिहार विधानसभा चुनाव में विजेता प्रत्याशियों को मिले वोटों में काफी अंतर दिखाई देता है। अलग-अलग सीटों पर नेताओं को 60 हजार से लेकर 1.5 लाख तक वोट मिले—यानी वोटिंग पैटर्न काफी विविध रहा।

  • 60,000 से 69,999 वोट पाने वाले विजेताओं की संख्या 4 रही, जिसमें एक BJP और तीन JDU प्रत्याशी शामिल थे।

  • 90,000 से 99,999 की रेंज में कुल 65 उम्मीदवारों ने जीत दर्ज की।

  • 1,00,000 से 1,09,999 तक वोट पाने वाले उम्मीदवारों की संख्या 63 रही।

  • सबसे ऊंची श्रेणी यानी 1,40,000 से 1,49,999 वोटों के बीच केवल एक BJP उम्मीदवार को जीत मिली।

आयोग ने कहा कि ये आंकड़े साफ करते हैं कि वोटों का वितरण व्यापक है और किसी एक खास संख्या पर केंद्रित नहीं। इसलिए लगभग समान संख्या में वोट मिलने की सोशल मीडिया पर चल रही बातें तथ्यों से मेल नहीं खातीं।

ईसी का बयान- ‘किसी पैटर्न का सवाल ही नहीं’

चुनाव आयोग के अधिकारियों ने कहा कि विजेताओं को मिले वोट “पूरे स्पेक्ट्रम में बिखरे” हुए हैं। ऐसे में किसी पार्टी या समूह को एक जैसी संख्या में वोट मिलने की संभावना न सिर्फ अव्यावहारिक है, बल्कि जारी किए गए डेटा में भी इसका कोई आधार नहीं मिलता।

यह पूरा विवाद तब शुरू हुआ, जब सोशल मीडिया पर लगातार यह दावा फैलने लगा कि भाजपा के कई उम्मीदवारों को लगभग 1.22 लाख वोट मिले हैं, जिसे एक “प्री-डिज़ाइन्ड पैटर्न” करार दिया गया। आयोग के ताज़ा आंकड़ों ने इस चर्चा को अमान्य बताते हुए साफ कर दिया कि बिहार चुनाव का वोट पैटर्न बिल्कुल सामान्य और विविध रहा।