कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने राज्यसभा के पूर्व सभापति और पूर्व उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ के लापता होने को लेकर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि जगदीप धनखड़ ने 21 जुलाई को उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा दिया था, लेकिन इसके बाद वे सार्वजनिक तौर पर कहीं दिखाई नहीं दिए हैं। जयराम रमेश ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू के बीच हाल ही में हुई मुलाकात के पीछे छिपे कारणों को समझने की भी मांग की।

जयराम रमेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि तेलुगु मीडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, पूर्व उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने प्रधानमंत्री मोदी से 45 मिनट तक मुलाकात की। उन्होंने पूछा कि आखिर क्या चल रहा है, जबकि जगदीप धनखड़ 21 जुलाई के बाद से न तो दिखे हैं, न सुने गए और न ही उनकी कोई खबर आई है।

https://twitter.com/Jairam_Ramesh/status/1954891966698881244

इससे पहले, शिवसेना (यूबीटी) के नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत ने भी धनखड़ की अचानक गैरमौजूदगी पर सवाल उठाए थे। राउत ने गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखकर बताया कि 21 जुलाई को धनखड़ पूरी तरह स्वस्थ थे और सदन की कार्यवाही भी उन्होंने सुचारू रूप से संचालित की। उसी शाम उन्होंने स्वास्थ्य कारण बताते हुए इस्तीफा दे दिया, लेकिन तब से उनकी तबीयत या ठिकाने की कोई आधिकारिक जानकारी नहीं मिली। कई सांसदों ने उनसे संपर्क करने की कोशिश की, लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। दिल्ली में ऐसी अफवाहें भी उड़ी हैं कि उन्हें उनके आवास में नजरबंद रखा गया है और वे सुरक्षित नहीं हैं।

चुनाव आयोग पर निशाना

साथ ही, कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने संसद के बाहर विपक्षी सांसदों के विरोध मार्च को पुलिस द्वारा रोके जाने पर भी कड़ी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र पर हमला हो रहा है और संसद के ठीक बाहर उसकी हत्या की जा रही है। विपक्षी सांसद बिहार में मतदाता सूची के पुनरीक्षण और कथित वोट चोरी के मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन कर रहे थे, लेकिन पुलिस ने उन्हें संसद मार्ग से आगे बढ़ने नहीं दिया और कई को हिरासत में ले लिया।

जयराम रमेश ने कहा कि विपक्ष शांतिपूर्ण तरीके से चुनाव आयोग तक ज्ञापन सौंपना चाहता था, लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया। उन्होंने चुनाव आयोग को लेकर तीखा आरोप लगाते हुए कहा कि चुनाव आयोग को अपनी जिम्मेदारी निभानी चाहिए और वह ‘चुराव आयोग’ नहीं बन सकता।