नई दिल्ली। राजधानी में प्रदूषण नियंत्रण को लेकर दिल्ली सरकार के सख्त कदम अब जमीन पर दिखाई देने लगे हैं। नो पीयूसी, नो फ्यूल अभियान के पहले दिन ही रिकॉर्ड संख्या में वाहन मालिकों ने अपने वाहनों का प्रदूषण नियंत्रण प्रमाणपत्र (पीयूसी) बनवाया। मात्र 24 घंटे में 61,912 वाहनों को प्रमाणपत्र जारी किया गया, जबकि नियम तोड़ने वालों पर चालान और ईंधन देने से रोक जैसी कार्रवाई भी की गई।
पर्यावरण मंत्री मंजिंदर सिंह सिरसा ने बताया कि 17 दिसंबर को 29,938 पीयूसी बनवाए गए, जबकि 18 दिसंबर शाम तक 31,974 और प्रमाणपत्र जारी किए गए। मंत्री ने कहा, "यह दिखाता है कि लोग समझ रहे हैं कि यह सख्त कदम उनकी और उनके बच्चों की सेहत के लिए आवश्यक है।"
अभियान के तहत बिना वैध पीयूसी वाले 3,746 वाहनों का चालान किया गया। बॉर्डर प्वाइंट्स पर ट्रैफिक पुलिस और परिवहन विभाग की टीमों ने करीब 5,000 वाहनों की जांच की और 568 नियमों का पालन न करने वाले वाहनों को वापस लौटा दिया। इसके अलावा 217 ट्रकों को एक्सप्रेसवे की ओर मोड़ दिया गया।
मंत्री सिरसा ने गुरुवार को दिल्ली-गुरुग्राम बॉर्डर और जनपथ सहित कई पेट्रोल पंपों का निरीक्षण किया। उन्होंने पंप कर्मचारियों से कहा कि नियमों को सख्ती से लागू करें, लेकिन वाहन चालकों से शालीनता से पेश आएं। उनका कहना था कि यह चालान का मामला नहीं, बल्कि साफ हवा का सवाल है।
सड़कों और कचरे पर भी कार्रवाई जारी रही। पिछले 24 घंटे में लगभग 2,300 किलोमीटर सड़कों की मैकेनाइज्ड सफाई की गई और मोबाइल एंटी-स्मॉग गन से 5,524 किलोमीटर क्षेत्र को कवर किया गया। 132 अवैध कचरा डंपिंग प्वाइंट बंद किए गए और लैंडफिल साइट्स पर 38 हजार मीट्रिक टन से अधिक पुराने कचरे का निपटान किया गया। बीएस-3 पेट्रोल और बीएस-4 डीजल हल्के वाहनों पर भी कार्रवाई हुई, जिनमें दिल्ली और एनसीआर के 265 वाहन शामिल थे।
प्रदूषण नियंत्रण को और प्रभावी बनाने के लिए सरकार नई तकनीकों पर काम कर रही है। भीड़भाड़ वाले इलाकों में शैवाल आधारित सिस्टम, जीआईएस तकनीक से निगरानी, कार पूल एप और एआई आधारित ग्रीन दिल्ली एप लाने की तैयारी है। निजी दफ्तरों से अपील की गई है कि वे ग्रैप-4 के तहत कम से कम 50 प्रतिशत स्टाफ को वर्क फ्रॉम होम की सुविधा दें। मंत्री ने चेतावनी दी कि नियमों की अनदेखी करने पर कार्रवाई होगी।