नई दिल्ली। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने वरिष्ठ अधिवक्ता और राज्यसभा सांसद कपिल सिब्बल पर तीखा प्रहार करते हुए कहा कि वह संसद में अपनी व्यक्तिगत सोच नहीं थोप सकते। उन्होंने सिब्बल को "औसत दर्जे का वकील" बताया और आरोप लगाया कि वे निजी हितों को प्राथमिकता देते हैं।

रिजिजू की यह प्रतिक्रिया उस वक्त सामने आई जब सिब्बल ने हाल ही में एक बयान में कहा कि जब तक न्यायमूर्ति शेखर यादव के 'सांप्रदायिक' बयान की जांच के लिए महाभियोग प्रक्रिया शुरू नहीं होती, तब तक विपक्ष को न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ सरकार के किसी प्रस्ताव का समर्थन नहीं करना चाहिए।

'निजी एजेंडे से चलते हैं सिब्बल'

एक साक्षात्कार में रिजिजू ने कहा, “कपिल सिब्बल न तो निष्पक्ष हैं और न ही सार्वजनिक हित उनके लिए प्राथमिकता है। वे किसी के पक्ष में और किसी के खिलाफ अपनी सुविधा से माहौल बनाना चाहते हैं। मैंने उन्हें केवल इतना कहा था कि संसद के कामकाज के लिए थोड़ा समय निकालें, लेकिन वे इसे भी नजरअंदाज कर अपनी बात कहकर निकल जाते हैं। वे यह भूल जाते हैं कि संसद में कई सदस्य उनसे कहीं अधिक समझ और अनुभव रखते हैं।”

'संसद व्यक्तिगत विचारों से नहीं, सामूहिक सोच से चलती है'

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि सिब्बल खुद को सभी मुद्दों पर सबसे अधिक जानकार मानते हैं, लेकिन संसद किसी एक व्यक्ति की सोच से नहीं, बल्कि सभी सांसदों की सम्मिलित भागीदारी से चलती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि न्यायपालिका के किसी सदस्य को हटाने की प्रक्रिया संविधान के दायरे में तय होती है और संसद ही वह मंच है जहां इस पर चर्चा और निर्णय लिया जा सकता है।

महाभियोग पर फिलहाल कोई टिप्पणी नहीं

रिजिजू ने कहा कि संसद का सत्र जल्द ही आरंभ होने वाला है, ऐसे में किसी न्यायाधीश के खिलाफ संभावित महाभियोग पर फिलहाल टिप्पणी करना उचित नहीं होगा। उन्होंने यह भी दोहराया कि सरकार केवल देशहित में फैसले लेती है, न कि किसी व्यक्ति विशेष के इशारे पर।