नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 'नेशनल हेराल्ड' मामले में गांधी परिवार का बचाव करते हुए आरोप लगाया है कि यह केस केवल राजनीतिक प्रतिशोध के तहत चलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि मामले का उद्देश्य केवल विपक्ष के नेताओं को परेशान करना है और इसमें लगाए गए आरोपों का कोई ठोस आधार नहीं है।
खरगे ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि नेशनल हेराल्ड मामले में कोई एफआईआर दर्ज नहीं है और अदालत ने प्रवर्तन निदेशालय (ED) की शिकायत पर संज्ञान लेने से इनकार किया है। उन्होंने सवाल उठाया कि यदि आरोप ही आधारहीन हैं, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह को इस्तीफा क्यों नहीं देना चाहिए।
अदालत का निर्णय और FIR का अभाव
दिल्ली की अदालत ने मंगलवार को कहा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी, सैम पित्रोदा, सुमन दुबे, यंग इंडियन और डॉटैक्स मर्चेंडाइज प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ ED की शिकायत केवल एक निजी याचिका और 2014 के समन आदेश पर आधारित थी, न कि किसी एफआईआर पर। अदालत ने स्पष्ट किया कि बिना FIR के मनी लॉन्ड्रिंग रोकथाम अधिनियम (PMLA) के तहत कार्रवाई वैध नहीं है।
कांग्रेस का पलटवार
कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि यह मामला केंद्र सरकार की बदले की राजनीति का उदाहरण है। उन्होंने आरोप लगाया कि ED का इस्तेमाल विपक्ष के नेताओं को निशाना बनाने के लिए किया जा रहा है। वेणुगोपाल ने कहा कि पार्टी के सभी कार्यकर्ता इस फैसले के खिलाफ गुस्से में हैं और पूरे देश में इसे लेकर विरोध प्रदर्शन करेंगे।
सिन्घवी ने भी दी प्रतिक्रिया
कांग्रेस राज्यसभा सांसद और सीनियर एडवोकेट अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आरोप बिना किसी ठोस आधार के लगाए गए थे। उन्होंने बताया कि 2021 और 2025 के बीच ED ने कई बार पूछताछ की, जिसमें मल्लिकार्जुन खरगे से पांच घंटे और राहुल गांधी से तीन घंटे पूछताछ शामिल थी। सिंघवी ने कहा कि यह मामला केंद्रीय एजेंसियों के गलत इस्तेमाल का उदाहरण है और अदालत का हाल का फैसला कानून की मजबूती को दर्शाता है।
कुल मिलाकर कांग्रेस नेताओं ने अदालत के निर्णय का स्वागत करते हुए इसे राजनीतिक दबाव और सत्ताधारी दल की नीतियों के खिलाफ एक महत्वपूर्ण कदम बताया है।