बेंगलुरु। कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संतुलन को लेकर राजनीतिक उठापटक तेज हो गई है। उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार के समर्थक खेमे से जुड़े कई मंत्री और विधायक गुरुवार को दिल्ली रवाना हुए। यह कदम ऐसे समय में उठाया गया है जब मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने अपने ढाई साल का कार्यकाल पूरा किया है और पार्टी के भीतर नेतृत्व को लेकर चर्चाएं फिर से सक्रिय हो गई हैं। हालांकि, शिवकुमार पहले ही कई बार स्पष्ट कर चुके हैं कि सिद्धारमैया पूरे पांच साल मुख्यमंत्री पद पर रहेंगे।
सूत्रों के अनुसार, शिवकुमार के करीबी मंत्री एन. चलुवरायसामी और विधायक इकबाल हुसैन, एच.सी. बालकृष्ण और एस.आर. श्रीनिवास दिल्ली पहुंचे हैं। शुक्रवार को और भी विधायक दिल्ली पहुँच सकते हैं। इन नेताओं की शीर्ष नेतृत्व से बैठक की संभावना जताई जा रही है, जिसे राजनीतिक संकेतों के तौर पर देखा जा रहा है।
रोटेशनल मुख्यमंत्री फॉर्मूले की चर्चाएं
20 मई 2023 को विधानसभा चुनाव परिणाम आने के बाद सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच मुख्यमंत्री पद को लेकर कड़ी प्रतिस्पर्धा थी। पार्टी ने समीकरण साधते हुए सिद्धारमैया को मुख्यमंत्री और शिवकुमार को उपमुख्यमंत्री बनाया। उस समय यह भी चर्चा थी कि ढाई साल के बाद मुख्यमंत्री पद शिवकुमार को मिल सकता है। हालांकि, कांग्रेस ने इसे कभी आधिकारिक रूप से स्वीकार नहीं किया और सिद्धारमैया ने बाद में स्पष्ट किया कि वह पूरे पांच साल कार्यकाल पूरा करेंगे।
शिवकुमार गुट की सक्रियता
शिवकुमार के समर्थक लगातार पार्टी से आग्रह कर रहे हैं कि ढाई साल के बाद नेतृत्व परिवर्तन की कथित प्रतिबद्धता पूरी की जाए। उनके समर्थकों का कहना है कि शिवकुमार ने पार्टी को सत्ता में लाने में अहम भूमिका निभाई है और उन्हें अब मुख्यमंत्री पद मिलना चाहिए। दिल्ली में शीर्ष नेतृत्व से मिलने की यह पहल इस दबाव को राजनीतिक रूप से उजागर करने की कोशिश मानी जा रही है।
दिल्ली में नेताओं की मौजूदगी और राजनीतिक संकेत
दिल्ली रवाना हुए विधायकों की संख्या बढ़ने से यह संकेत मिल रहा है कि शिवकुमार गुट में असंतोष गहरा है। कुछ दिन पहले भी करीब एक दर्जन MLC दिल्ली में मौजूद थे और उन्होंने पार्टी महासचिवों से बातचीत की थी। इससे यह साफ हो गया है कि कर्नाटक कांग्रेस में सत्ता संतुलन को लेकर खींचतान धीरे-धीरे खुलकर सामने आ रही है।
आने वाले दिनों में हलचल बढ़ने की संभावना
सिद्धारमैया के ढाई साल पूरा होने के बाद शिवकुमार गुट की सक्रियता बढ़ गई है, जिससे कर्नाटक कांग्रेस में राजनीतिक हलचल और तेज होने की संभावना है। दिल्ली में नेताओं की लगातार मौजूदगी और शीर्ष नेतृत्व के साथ संभावित बैठकों के बाद आगे की स्थिति पार्टी के निर्णयों पर निर्भर करेगी।