नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने मंगलवार को संसद में बताया कि देश में डॉक्टरों की उपलब्धता अभी भी चुनौती बनी हुई है। मौजूदा आंकड़ों के अनुसार भारत में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात 1:811 है अर्थात् हर 811 नागरिकों पर सिर्फ एक डॉक्टर उपलब्ध है।
राज्यसभा में पूछे गए सवाल के लिखित जवाब में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जेपी नड्डा ने कहा कि देश में इस समय 13.88 लाख से अधिक एलोपैथिक डॉक्टर पंजीकृत हैं, जबकि आयुष पद्धति में 7.51 लाख से ज्यादा चिकित्सक कार्यरत हैं। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले कुछ वर्षों में मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में तेज़ी से विस्तार हुआ है।

मेडिकल शिक्षा में तेज़ी से बढ़ोतरी
मंत्री के अनुसार 2014 से अब तक मेडिकल कॉलेजों की संख्या 387 से बढ़कर 818 हो चुकी है। इसी अवधि में यूजी (MBBS) सीटें 51,348 से 1,28,875 और पीजी सीटें 31,185 से बढ़कर 82,059 हो गई हैं। नड्डा ने कहा कि सरकार का मुख्य लक्ष्य दूरदराज, ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में डॉक्टरों की उपलब्धता को बेहतर बनाना है, जिसके लिए कई योजनाएं लागू हैं।
हार्ट अटैक से जुड़े आंकड़े केंद्र स्तर पर उपलब्ध नहीं
एक अन्य सवाल का जवाब देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि हार्ट अटैक से संबंधित डेटा केंद्र स्तर पर संकलित नहीं किया जाता। हालांकि, ICMR द्वारा इन कारणों के अध्ययन के लिए देश के 25 अस्पतालों में एक विशेष शोध कार्यक्रम चलाया गया। इस परियोजना के तहत अक्टूबर 2021 से जनवरी 2023 के बीच 18 से 45 वर्ष की आयु के उन मरीजों की जानकारी जुटाई गई जो हृदयाघात के कारण अस्पताल में भर्ती हुए थे।
कफ सिरप निर्माताओं की कठोर जांच
बच्चों की मौतों से जुड़े संदिग्ध कफ सिरप मामलों के बाद सरकार ने 700 से अधिक कफ सिरप निर्माता कंपनियों का विस्तृत ऑडिट कराया है। साथ ही केंद्र और राज्यों के औषधि नियामक संस्थानों ने सिरप दवाओं पर बाजार निगरानी को और सख़्त कर दिया है।
स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल ने बताया कि मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के मामले की रिपोर्ट के बाद विशेषज्ञों की केंद्रीय टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा किया। टीम ने स्थानीय अधिकारियों के सहयोग से घटनाओं की गहराई से जांच की और संबंधित मामलों का विस्तृत मूल्यांकन किया।